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    क्या है Fluidity List, जिससे डर रहे लाखों रुपये सैलरी पाने वाले कर्मचारी, आ गया इसमें नाम तो क्या होगा?

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 01:44 PM (IST)

    आईटी सेक्टर में फ्लुइडिटी लिस्ट की ज्यादा चर्चा होती है क्योंकि इस लिस्ट में नाम आने से छंटनी की संभावना बढ़ जाती है। इस सूची में ऐसे कर्मचारियों के नाम रखे जाते हैं जिन्हें मैनेजर्स अक्सर कमजोर मानता है। इन वजहों में कम प्रोडक्टिविटी ज्यादा सैलरी स्किल्स की कमी या क्लाइंट प्रोजेक्ट्स से जुड़ी चिंताएं शामिल हो सकती हैं।

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    आईटी और टेक सेक्टर में फ्लुइडिटी लिस्ट की काफी चर्चा होती है।

    नई दिल्ली। नौकरी में एक खतरा हमेशा हर एम्पलाई को सताता है और वह है Layoffs यानी छंटनी का, जिसमें कंपनी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल देती है। छंटनी को लेकर कंपनियों के कई कारण हो सकते हैं। हाल ही में भारत और अमेरिका के टेक सेक्टर से छंटनी की कुछ खबरें सामने आई हैं इसलिए Fluidity List को लेकर आईटी सेक्टर के एम्पलाइज में इस लिस्ट को लेकर बेचैनी बढ़ गई है। क्योंकि, आईटी सेक्टर में एम्पलाइज की सैलरी लाखों में होती है।  क्या आप जानते हैं फ्लुइडिटी लिस्ट" क्या होती है और इसका नौकरी पर क्या असर होता है?

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    क्या है Fluidity List?

    आईटी और टेक सेक्टर में फ्लुइडिटी लिस्ट की ज्यादा चर्चा होती है, क्योंकि इस लिस्ट में नाम आने से छंटनी की संभावना बढ़ जाती है। दरअसल, फ्लुइडिटी लिस्ट में उन कर्मचारियों के नाम रखे जाते हैं, जिन्हें मैनेजर्स, अक्सर कमजोर मानता है। इसकी कई वजह हो सकती हैं लेकिन प्रमुख कारण कम प्रोडक्टिविटी, ज्यादा सैलरी, स्किल्स की कमी या क्लाइंट प्रोजेक्ट्स से जुड़ी चिंताएं शामिल हो सकती हैं।

    भारत में टीसीएस समेत अन्य कंपनियों में फ्लुइडिटी लिस्ट का प्रचलन है। इस सूची में नाम आने पर छंटनी की संभावना बढ़ जाती है। हाल ही में खबर आई थी कि देश की दिग्गज आईटी कंपनी टीसीएस (Tata Consultancy Services) जल्द 12000 कर्मचारियों को निकालने की योजना बना रही है, जिसके खिलाफ UNITE ने प्रदर्शन शुरू कर दिया था। दरअसल, यह कंपनी में अब तक की सबसे बड़ी छंटनियों में से एक है। इसके अलावा, अमेरिकी टेक कंपनीज ऑरेकल समेत अन्य कंपनियों ने भी छंटनी का ऐलान किया है।

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    इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की वजह से शुरू हो रहे बड़े बदलाव की शुरुआत है। इसके चलते आने वाले 2-3 सालों में इस 283 अरब डॉलर के आईटी सेक्टर में करीब पांच लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं।