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    बड़े बैंक भी हो जाते हैं फेल, अगर आपके साथ हुआ ऐसा तो कहां जाएगा पैसा; कितनी होगी भरपाई

    By Sonali SinghEdited By: Sonali Singh
    Updated: Tue, 21 Mar 2023 01:24 PM (IST)

    What Happens to Your Money If Your Bank Fails हाल में एक के बाद एक तीन बैंकों के डूबने की खबर सामने आई है। क्या आप जानते हैं कि ग्राहकों के पैसों का क्या होता है? अगर ऐसा हुआ तो आपके पैसों का क्या होगा? (फाइल फोटो)

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    What Happens to Your Money If Your Bank Fails

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। हाल ही में अमेरिका के दो बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank-SVB) और सिग्नेचर बैंक (Signature Bank) के बंद होने के बाद दुनियाभर के निवेशकों में चिंता बनी हुई है कि ऐसा ही कहीं उनके बैंक के साथ भी ऐसा न हो। यूके का क्रेडिट सुइस बैंक भी डूब गया। सवाल है कि इतने बड़े बैंक भी कैसे फेल हो जाते हैं और अगर उन्हें रातोंरात बंद करने की नौबत आई तो उसके बाद बैंक के खाते में पड़े आपके पैसों का क्या होता है?

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    आपको बता दें कि जब किसी बैंक को बंद किया जाता है तो उसमें पड़े ग्राहकों के पैसे भी फ्रीज हो जाते हैं। यानी कि खाते से पैसे नहीं निकाले जा सकते हैं। हालांकि, इसमें कुछ लिमिट तक पैसे निकालने की इजाजत है। भारत में RBI की जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (DICGC) के तहत एक ग्राहक 5 लाख तक की राशि निकाल सकता है।

    क्यों हो जाते है बैंक फेल?

    कोई भी बैंक तभी चल सकता है, जब उसके ग्राहकों को लगे कि उनका पैसा यहां सुरक्षित है। बैंक ग्राहकों द्वारा खाते में जमा किए गए पैसों पर उन्हें ब्याज देता है और उनके पैसों को व्यक्तियों या व्यवसायों को उधार देने या बॉन्ड जैसी प्रतिभूतियां खरीदने में निवेश करता है।

    जब कभी ऐसी स्थिति आ जाती है कि उसके ग्राहकों को लगने लगता है कि उनके पैसे सुरक्षित नहीं है तो हर कोई एक ही समय में अपनी नकदी निकालने की कोशिश करता है। ऐसे में यह "बैंक रन" (Bank Run) कहा जाता है और यह किसी भी बैंक के लिए चिंता का विषय होता है।

    बैंक रन के कारण ग्राहकों को उनका पैसा वापस करने के लिए बैंक को निवेश किए गए प्रतिभूतियों को नुकसान में बेचना पड़ता है और पैसा लौटना पड़ता है। यह सबसे खराब स्थिति है और इसके चलते बैंक विफल हो सकते हैं।

    क्या होता है आपके पैसे का?

    अमेरिकी फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) के अनुसार, 2001 के बाद से 563 बैंक फेल हुए थे, जिनमें से आधे से अधिक 2008 और 2009 के वित्तीय संकट के दौरान हुए। इस कारण, सिक्योरिटीज इन्वेस्टर प्रोटेक्शन कॉरपोरेशन (SIPC) के तहत ग्राहक 2.5 लाख डॉलर तक निकाल सकते हैं।

    वहीं, भारत में पांच लाख तक निकाला जा सकता है। इसके बाद शेष राशि बैंक में ही पड़ी रहती है और बाद में किसी दूसरे बैंक से विलय के बाद बाकी पैसों को निकालने की इजाजत मिलती है। दूसरी स्थति में बैंक संघ फेल हुए बैंक को वित्तीय सहायता देते हैं, जिसके बाद स्थिति सुधरने पर ग्राहक अपना पैसा निकाल सकते हैं।