अगर भारत को बनना है 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी, तो इन क्षेत्रों में करने होंगे बड़े सुधार: World Bank
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए वित्तीय क्षेत्र में तेजी से सुधार करने होंगे। डिजिटल बुनियादी ढांचे और सरकारी योजनाओं ने वित्तीय सेवाओं की पहुंच में सुधार किया है। पूंजी बाजार जीडीपी का 175% हो गया है। ऋण वृद्धि और जोखिम साझाकरण सुविधाओं को विकसित करने की सलाह दी गई है।

अगर भारत को बनना है 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी, तो इन क्षेत्रों में करने होंगे बड़े सुधार: World Bank
नई दिल्ली, PTI। भारत को 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को और तेजी देने तथा निजी पूंजी जुटाने को बढ़ावा देने की जरूरत है। विश्व बैंक (World Bank report) की वित्तीय क्षेत्र आकलन (एफएसए) रिपोर्ट में यह बात कही गई। इसमें स्वीकार किया गया कि भारत के 'विश्व स्तरीय' डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और सरकारी कार्यक्रमों ने पुरुषों और महिलाओं के लिए वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में उल्लेखनीय सुधार किया है।
वित्तीय क्षेत्र आकलन कार्यक्रम (एफएसएपी) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और World Bank का संयुक्त कार्यक्रम है और यह किसी देश के वित्तीय क्षेत्र का व्यापक और गहन विश्लेषण करता है। वित्तीय क्षेत्र आकलन कार्यक्रम (एफएसएपी) सितंबर 2010 से प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण वित्तीय क्षेत्रों वाले क्षेत्राधिकारों के लिए अनिवार्य हो गया है। इस समय भारत सहित 32 क्षेत्राधिकारों के लिए हर पांच साल में और अन्य 15 क्षेत्राधिकारों के लिए हर 10 साल में वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन (एफएसएपी) आयोजित करना अनिवार्य है।
एफएसएपी के अंतिम भाग के रूप में IMF वित्तीय प्रणाली स्थिरता आकलन (एफएसएसए) रिपोर्ट और विश्व बैंक वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन (एफएसए) रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। भारत के लिए पिछला एफएसएपी 2017 में आयोजित किया गया था। एफएसएसए रिपोर्ट IMF द्वारा दिसंबर 2017 में और एफएसए रिपोर्ट विश्व बैंक द्वारा दिसंबर 2017 में प्रकाशित की गई थी। इसमें कहा गया कि वित्तीय क्षेत्र में सुधारों ने भारत को 2010 के दशक के विभिन्न संकटों और महामारी से उबरने में मदद की।
पूंजी बाजार जीडीपी का 175 प्रतिशत हुआ भारत के पूंजी बाजारों के लिए रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एफएसएपी के बाद से पूंजी बाजार (इक्विटी, सरकारी बांड और कारपोरेट बांड) जीडीपी के 144 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 175 प्रतिशत हो गए हैं। इन लाभों को एक मजबूत पूंजी बाजार इन्फ्रास्ट्रक्चर और विविध निवेशक आधार का समर्थन प्राप्त है। रिपोर्ट में पूंजी जुटाने के लिए ऋण वृद्धि तंत्र, जोखिम साझाकरण सुविधाएं और प्रतिभूतिकरण प्लेटफार्म विकसित करने का सुझाव दिया गया है।

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