जानें, सिक्का के वेतन में इजाफे पर इंफोसिस में क्यों है नाराजगी
इंफोसिस को वापिस ट्रैक पर लाने के एवज में कंपनी के नए सीईओ विशाल सिक्का के वेतन में वृद्धि के साथ 2021 तक कंपनी में बने रहने का मौका दिया गया पर इसकी वजह से वहां नाराजगी का आलम है।
बेंगलूर। इंफोसिस ने अपने संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति के सामाजिक समानता के सिद्धांत से बाहर कदम रखा है और प्रोफेशनल सीईओ के लिए रास्ता बनाया। कंपनी के नए सीईओ विशाल सिक्का की उपलब्धियों को देखते हुए इनके कार्यकाल को बढ़ाया गया है और साथ ही वेतन में भी भारी बढ़ोतरी भी की गई है। लेकिन इस वजह से कंपनी में नाराजगी है।'
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इंफोसिस को ट्रैक पर फिर से लाने के लिए विशाल सिक्का को सीइओ के तौर पर लाया गया। विशाल ने कंपनी को बढ़ाया जो कि दो साल पहले आगे बढ़ने के लिए संघर्ष कर रही थी। वित्तीय वर्ष 2016 में इंफोसिस का रेवेन्यू 9.1 फीसद बढ़कर 9.5 बिलियन हो गया, लेकिन नॉसकॉम के औसत 12.3 फीसद को पीछे करते हुए कंस्टैंट करेंसी में यह 13.3 फीसद बढ़ा।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, सॉफ्टवेयर वाली दुनिया में पारंपरिक आइटी सर्विसेज के लिए सिक्का ने इंफोसिस को बदल दिया। उन्होंने कहा बदली हुई कहानी वास्तविक है और इसके लिए उन्हें सम्मान मिला।
मौजूदा वित्तीय वर्ष के शुरुआत में 11 मिलियन डॉलर का लाभ सिक्का को मिला। इसमें उनका बेसिक वेतन 1 मिलियन डॉलर, 3 मिलियन डॉलर वैरिएबल शुल्क, 2 मिलियन डॉलर रिस्ट्रिक्टेड स्टॉक यूनिट व स्टॉक ऑप्शन में 5 मिलियन ये सब राशि इंफोसिस के परफार्मेंस के लिए उन्हें दिया गया।
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कंपनी के अच्छे ग्रोथ के एवज में सिक्का के कार्यकाल को दो साल और बढ़ाते हुए कार्यावधि 2021 तक कर दी गयी है। सिक्का का पैकेज पहले ही 7.08 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया था जिसमें 2 मिलियन डॉलर के स्टॉक ऑपशन के अलावा 5.08 मिलियन डॉलर वार्षिक वेतन भी शामिल है।
लेकिन इसकी वजह से कुछ प्रमोटर्स ने उनके कार्यकाल को दो वर्ष तक बढ़ाए जाने से नाराजगी जाहिर की और कहा कि नया पुरस्कार कंपनी के पुराने मान्यताओं जो काफी लंबे अरसे से चली आ रही है उसके खिलाफ है।
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