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    'छोटे कॉलेजों के ग्रेजुएट का बड़ा पैकेज मांगना सही नहीं', टेक प्रोफेशनल की वायरल पोस्ट पर मचा बवाल

    Updated: Wed, 15 Jan 2025 11:03 AM (IST)

    एक टेक प्रोफेशनल ने एक्स पर यह कहकर बड़ी बहस छेड़ दी कि प्रोग्रामिंग स्किल की कमी वाले टियर 500 कॉलेजों से ग्रेजुएट करने वालों के लिए 3.6 लाख रुपये का पैकेज वाजिब हैं। उनकी पोस्ट पर बड़ी बहस खड़ी हो गई है। कई यूजर नायर की बात कर रहे हैं तो कई 3.6 लाख रुपये के सालाना पैकेज को शोषण बता रहे हैं। आइए जानते हैं पूरा मामला।

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    टेक प्रोफेशनल नायर की पोस्ट को 10 लाख से अधिक बार देखा गया है

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। सोशल मीडिया फ्रेशर्स की सैलरी पर तीखी बहस का मुद्दा बन गई है। कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या भारत में एंट्री-लेवल रोल के लिए 3.6 लाख रुपये सालाना का पैकेज पर्याप्त है। एक टेक प्रोफेशनल अभिषेक नायर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर यह कहकर बड़ी बहस छेड़ दी कि प्रोग्रामिंग स्किल की कमी वाले 'टियर 500 कॉलेजों से ग्रेजुएट करने वालों के लिए 3.6 लाख रुपये का पैकेज वाजिब हैं। उनकी पोस्ट को 10 लाख से अधिक बार देखा गया है और इस पर लोग सैलरी, स्किल डेवलपमेंट और जॉब सेनेरियो के बारे में अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

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    नायर ने सैलरी पैकेज के बारे में क्या कहा?

    टेक प्रोफेशनल अभिषेक नायर ने एक्स पर लिख, 'मेरी बात की कड़ी आलोचना हो सकती है, लेकिन यह कहना जरूरी है: अगर आप टियर 500 कॉलेज से हैं और आपके पास प्रोग्रामिंग स्किल्स की कमी है, तो आपके लिए 3.6 लाख रुपये सालाना का पैकेज बुरा नहीं है। बिना किसी ठोस प्रोजेक्ट पोर्टफोलियो के 1 करोड़ रुपये के पैकेज की उम्मीद न करें। अगर आपके सीवी की सबसे बड़ी खासियत आपकी बैचलर डिग्री है, तो आपका बहुत ज्यादा पैकेज की उम्मीद करना जायज नहीं है।'

    नायर की टिप्पणी फ्रेशर्स के लिए ली थी, जो मिनिमम स्किल सेट और अचीवमेंट के साथ जॉब मार्केट में आते हैं। नायर ने जोर दिया कि अगर कोई बड़े पैकेज की उम्मीद करता है, तो उसके पास बड़ा स्किल सेट भी होना चाहिए।

    नायर की राय पर बंटे यूजर

    नायर की पोस्ट की रिप्लाई में बहुत-से यूजर्स ने अपनी राय जताई। उनमें से कई लोग नायर की बातों से सहमत थे। उनकी दलील थी कि रोजगार का स्किल सेट से गहरा नाता है। एक यूजर ने कमेंट किया, 'कई लो-टियर कॉलेजों को स्किल डेवलपमेंट पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। यह हैरान करने वाली बात है कि मुझे ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है, जहां मैं 500 में से एक भी उम्मीदवार का चयन नहीं कर सका।"

    एक अन्य यूजर ने पढ़ाई वालेज्ञान और प्रैक्टिकल एप्लीकेशन के बीच अंतर की बात की। उन्होंने कहा, "मैंने हाल ही में एक आईआईटी ग्रेजुएट का इंटरव्यू लिया। वह फिबोनाची हीप जैसे एडवांस कॉन्सेप्ट को जानता था, लेकिन वह उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने में नाकाम रहा। असल मुद्दा यह है कि कई छात्रों में एप्लीकेशन स्किल की कमी है, चाहे वे किसी भी कॉलेज में हों।"

    3.6 लाख रुपये के पैकेज की आलोचना

    कई यूजर ने मौजूदा आर्थिक हालात को देखते हुए 3.6 लाख रुपये के सालाना पैकेज की तीखी आलोचना की। एक यूजर ने कहा, "मुद्रास्फीति एक अहम मसला है! 2024 में एक फ्रेशर की सैलरी 2004 के समान नहीं हो सकती। आज 3.6 लाख रुपये सालाना पैकेज का ऑफर देना शोषण है।"

    कुछ यूजर ने इस बात पर भी एतराज जताया कि टॉप-टियर कॉलेज के ग्रेजुएट अपनेआप बड़े पैकेज के हकदार हो जाते हैं। एक यूजर ने लिखा, "मैं इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं हूं कि एक टियर 1 कॉलेज का छात्र 1 करोड़ रुपये का हकदार है और हमेशा टैलेंटेड होता है। सफलता या कौशल का आकलन किसी के संस्थान की रैंकिंग से नहीं किया जाना चाहिए।"

    नायर ने स्पष्ट किया अपना रुख

    हालांकि, आलोचनाओं के बीच नायर ने अपना रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि वह फ्रेशर्स को यह नहीं कह रहे हैं कि वो कम पैकेज में मान जाएं, बल्कि उनका कहना है कि हर किसी को अपना मूल्यांकन करना चाहिए। इससे उसे पता चल जाएगा कि वह अपनी स्किल सेट के हिसाब से कितना एनुअल पैकेज डिजर्व करता है।

    नायर ने कहा, 'मैं किसी को कम पैसों में काम करने के लिए नहीं कह रहा हूं। अगर आपको लगता है कि आपको स्किल सेट के हिसाब कम पैसे मिल रहे हैं, तो आपको दूसरे ऑर्गनाइजेशन की तलाश करनी चाहिए।'

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