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    रिलायंस का अनुबंध रद नहीं हो सकता

    By Edited By:
    Updated: Mon, 24 Feb 2014 09:46 PM (IST)

    नई दिल्ली [जाब्यू]। क्षमता के कम गैस उत्पादन को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज का अनुबंध रद नहीं किया जा सकता है। गैस की कीमतों में वृद्धि को लेकर लग रहे आरोपों के बीच पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में यह कहा है। उन्होंने इस पत्र में गैस के दाम बढ़ाने को जायज ठहराया है। मोइली की चिट्ठी आम आदमी पार्टी के ने

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    नई दिल्ली [जाब्यू]। क्षमता के कम गैस उत्पादन को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज का अनुबंध रद नहीं किया जा सकता है। गैस की कीमतों में वृद्धि को लेकर लग रहे आरोपों के बीच पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में यह कहा है। उन्होंने इस पत्र में गैस के दाम बढ़ाने को जायज ठहराया है। मोइली की चिट्ठी आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के आरोपों के बाद सामने आई है। केजरीवाल ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह पहली अप्रैल, 2014 से गैस के दाम दोगुने कर रिलायंस को फायदा पहुंचा रही है।

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    मोइली ने कहा है कि केजी और कावेरी बेसिन में 4.2 डॉलर प्रति एमबीटीयू (मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट) की दर से गैस निकालना आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं है। इसी क्षेत्र में ओएनजीसी भी जो उत्पादन कर रही है, उसकी औसत लागत भी 3.6 डॉलर आ रही है। केजी बेसिन के डी6 ब्लॉक में प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट (पीएससी) की शतरें के अनुसार क्षमता से कम गैस निकालने के मामले में रिलायंस का अनुबंध रद नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह मामला ट्रिब्यूनल में लंबित है। दरअसल पीएससी में अनियमितता के लिए जुर्माने को लेकर साफ-साफ कोई प्रावधान नहीं है।

    पढ़ें : केजरीवाल के आरोप तथ्य से परे हैं : मुकेश

    पत्र में मोइली ने कहा है कि गैस निकालने वाली कंपनी के कोई गड़बड़ी करने पर ही अनुबंध रद किए जाने का प्रावधान है। एस जयपाल रेड्डी के पेट्रोलियम मंत्री रहते तेल मंत्रालय ने मई, 2012 में रिलायंस पर प्राकृतिक गैस उत्पादन का पूर्व निर्धारित लक्ष्य हासिल न कर पाने पर 1.005 अरब डॉलर (करीब 6,211 अरब रुपये) का जुर्माना लगा दिया था। मुकेश अंबानी की इस कंपनी ने इसका विरोध किया और यह मामला ट्रिब्यूनल में पहुंच गया।

    सूत्रों के मुताबिक मोइली ने पत्र में लिखा है कि गैस के दाम तय करते हुए यह सोचना बहुत अच्छा लगता है कि कीमत कम रखने से हम उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर उतनी ही गैस की आपूर्ति का भरोसा दे रहे हैं। हकीकत यह है कि दाम तय करने के फॉर्मूले से वह निवेश प्रभावित होता है जो गैस की खोज और उत्पादन में लगता है और अंत में गैस का कुल संभावित उत्पादन भी।

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