JP Associates को आखिर क्यों अदाणी, डालमिया और वेदांता सहित ये 6 अरबपति खरीदने को बेताब; छुपा है ये रहस्यमयी फायदा?
वेदांता को कर्ज में डूबी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (Is Vedanta buying Jaiprakash Associates) को खरीदने की मंजूरी मिली है। इस कंपनी को खरीदने के लिए अदाणी ग्रुप समेत 26 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी। JAL के पास सीमेंट प्लांट्स, पावर यूनिट्स और रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स जैसे कई कीमती एसेट्स हैं। वेदांता (Did Vedanta acquire Jaypee) और अदाणी ग्रुप इस अधिग्रहण के जरिए सीमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। IBC के तहत यह डील कॉर्पोरेट अधिग्रहण का प्लेटफॉर्म बन गई है।

Jaiprakash Associates में ऐसा है क्या जो 6 अरबपति इसे खरीदने को इतने बेताब हैं?
नई दिल्ली। पिछले हफ्ते माइनिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी वेदांता (Vedanta) को कर्ज में डूबी और दिवालिया हो चुकी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) को 17,000 करोड़ रुपये में खरीदने की मंजूरी मिली। अदाणी ग्रुप को 12,600 करोड़ रुपये की बोली को अगस्त में मंजूरी दी गई थी। JAL को खरीदने के लिए कुल 26 कंपनियों (Who is the new owner of JP Associates) ने दिलचस्पी दिखाई, जिनमें से 6 बड़ी कंपनियां फाइनल रेस में आईं। जिनमें वेदांता सबसे आगे निकलता हुआ दिख रहा है।
वहीं अदाणी ग्रुप 12,600 करोड़ रुपये की बोली लगाई। इसके अलावा डालमिया भारत, जिन्दल स्टील एंड पावर (JSPL), पीएनसी इंफ्राटेक और सुरक्षा ग्रुप शामिल है। इन सभी कंपनियों के प्रस्तावों को CCI ने मंजूरी दे दी है। अब क्रेडिटर्स की कमेटी (CoC) तय करेगी कि कौन-सी डील को फाइनल किया जाए।
क्योंकि वेदांता ने सबसे बड़ी बोली लगाई है ऐसे में खरीदने का पड़ला उसकी तरफ भारी है। हालांकि 17,000 करोड़ की बोली का वैल्युएशन अगले दो से चार सप्ताह में किया जाएगा और जो भी बोली जीता है उससे वह किस तरह लोन चुकाएगा इसकी जांच परख की जाएगी और इसी आधार पर तय होगा कि जेपी किसकी होगी।
आखिर क्यों है JP Associates को लेकर इतना गहमागहमी
अब यह बड़ा सवाल है कि एक दिवालिया कंपनी को खरीदने की इतनी होड़ क्यों है? तो इसका जबाव ये है कि JAL के पास सिर्फ कर्ज ही नहीं, बल्कि बहुत कीमती एसेट्स भी हैं। इनमें सीमेंट प्लांट्स और कैप्टिव पावर यूनिट्स, लाइमस्टोन माइनिंग लीज, रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स जैसे जेपी ग्रीन्स, विश टाउन, इंटरनेशनल स्पोर्ट्स सिटी, जेवर एयरपोर्ट के पास शामिल हैं। इसमके अलावा दिल्ली-एनसीआर, मसूरी और आगरा में होटल्स-रिसोर्ट्स भी शामिल हैं।
यानी जो भी कंपनी इसे खरीदेगी, उसे एक साथ सीमेंट, पावर, इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट और हॉस्पिटैलिटी जैसे पांच सेक्टरों में एंट्री मिल जाएगी। वो भी डिस्काउंटेड दामों पर मिलेगी।
Vedanta और Adani क्या अपना रहे रणनीति
वेदांता के लिए यह डील सीमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में कदम रखने का मौका है। साथ ही इसे माइनिंग और रियल एस्टेट में भी फायदा मिलेगा। अदाणी ग्रुप, जो पहले से सीमेंट में बड़ा खिलाड़ी है। Ambuja और ACC के जरिए इस अधिग्रहण से उत्तर और मध्य भारत में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहता है।
उदाहरण के लिए, अंबुजा सीमेंट्स ने FY25 से FY28 के बीच उत्पादन क्षमता को 100 MTPA से बढ़ाकर 140 MTPA करने का लक्ष्य रखा है। जिसमें JAL जैसे एसेट्स अहम रोल निभा सकते हैं।
IBC का बड़ा रोल
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह केस दिखाता है कि भारत का इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) अब सिर्फ कर्ज वसूली का टूल नहीं रहा, बल्कि कॉर्पोरेट अधिग्रहण का प्लेटफॉर्म भी बन गया है। AB लीगल हैदराबाद के अमीर बवानी के मुताबिक, ''अब बड़ी कंपनियां कोर्ट की निगरानी में सस्ते दामों पर मल्टी-सेक्टर एसेट्स खरीद रही हैं। ये मार्केट कंसॉलिडेशन का नया दौर है।''
दूसरे शब्दों में कहे तो IBC अब डिस्ट्रेस्ड एसेट्स मार्केटप्लेस बन चुका है। जहां कंपनियां मुश्किल में फंसे कारोबारों को खरीदकर उन्हें फिर से खड़ा कर रही हैं।
अब जब CCI की मंजूरी मिल गई है, तो क्रेडिटर्स की कमेटी (CoC) अगले 2-4 हफ्तों में सभी प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगी। फाइनल बिड पर नवंबर में वोटिंग होगी, जिसमें कम से कम 66% मंजूरी जरूरी है। इसके बाद मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में जाएगा, जो अंतिम मंजूरी देगा।
JAL की कहानी कैसे शिखर से पहुंच कर दिवालिया हुई
जयप्रकाश एसोसिएट्स, जेपी ग्रुप की मुख्य कंपनी है, जिसे जयप्रकाश गौड़ ने 1979 में शुरू किया था। कंपनी ने शुरुआत की थी कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग से, लेकिन धीरे-धीरे यह सीमेंट, पावर, रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और होटल बिजनेस में भी उतर गई।
JAL का नाम यमुना एक्सप्रेसवे (नोएडा से आगरा तक 165 किमी) जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स से जुड़ा है। 2000 के दशक में यह कंपनी भारत की तेज़ी से बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर कहानी का प्रतीक बन गई थी। लेकिन सफलता के साथ-साथ कंपनी ने बेतहाशा कर्ज लिया और यही उसकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई।
2008 की ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद से प्रोजेक्ट्स अटकने लगे, विश टाउन जैसे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में देरी हुई और हजारों होमबायर्स ने शिकायतें शुरू कर दीं। 2018 में ICICI बैंक ने IBC के तहत कंपनी को दिवालिया घोषित करने की याचिका दाखिल की और 2022 में SBI भी केस में शामिल हो गया। कंपनी का 2024-25 तक पूरा दिवालियापन प्रोसेस शुरू हो गया। सितंबर 2025 तक JAL का कुल कर्ज 55,371 करोड़ रुपये पहुंच चुका था।
जेपी ग्रुप की बाकी कंपनियों का क्या हाल है?
जेपी इंफ्राटेक (Jaypee Infratech Ltd) पहले ही दिवालिया हो चुकी थी और सुरक्षा ग्रुप ने 2024 में इसे खरीद लिया था। अब वही अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट पूरे कर रहा है।
भिलाई जेपी सीमेंट अक्टूबर 2025 में दिवालिया हुआ, 45 करोड़ रुपय के डिफॉल्ट के कारण रहा। अन्य यूनिट्स जैसे जयप्रकाश पावर वेंचर (Jaiprakash Power Ventures), यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway Tolling) और जेपी इंफ्रा डेवलपमेंट (Jaypee Infrastructure Development Ltd) अभी पुनर्गठन प्रक्रिया में हैं।

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