Vedanta का डीमर्जर प्लान मंजूर, अब 4 हिस्सों में बंट जाएगा अनिल अग्रवाल का बिजनेस, शेयरधारकों को होगा ये फायदा
NCLT की मुंबई बेंच ने 16 दिसंबर को वेदांता के डीमर्जर प्लान को मंजूरी दे दी है। कंपनी ने अरेंजमेंट स्कीम फाइल की थी, जिसमें चार ग्रुप कंपनीज - वेदांता ...और पढ़ें

नई दिल्ली। माइनिंग कारोबारी अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता लिमिटेड के डीमर्जर प्लान को मंजूरी मिल गई है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच ने 16 दिसंबर को वेदांता के डीमर्जर प्लान को अप्रूव कर दिया है। इस खबर के बाद वेदांता लिमिटेड के शेयर 3.5% तक उछल गए हैं। दरअसल, वेदांता लिमिटेड ने NCLT मुंबई बेंच के सामने एक अरेंजमेंट स्कीम फाइल की थी, जिसमें चार ग्रुप कंपनीज - वेदांता एल्युमिनियम मेटल, तलवंडी साबो पावर, माल्को एनर्जी, और वेदांता आयरन एंड स्टील और उनके शेयरहोल्डर और क्रेडिटर शामिल थे।
इससे पहले कंपनी ने डीमर्जर प्लान 6 स्वतंत्र कंपनियों को बंटने के लिए बनाया था, जिसमें वेदांता एल्युमिनियम, वेदांता ऑयल एंड गैस, वेदांता पावर, वेदांता स्टील एंड फेरस मटीरियल्स, वेदांता बेस मेटल्स, और वेदांता लिमिटेड थीं। हालांकि, प्लान में बदलाव के बाद बेस मेटल्स का बिज़नेस पेरेंट कंपनी के पास ही रहा।
कंपनी ने क्यों किया डीमर्जर
वेदांता लिमिटेड डीमर्जर का प्रस्ताव ऑपरेशन्स को बेहतर बनाने, मैनेजमेंट फोकस को सुधारने और शेयरहोल्डर वैल्यू को बढ़ाने के लिए दिया गया था। मार्च 2025 में, NCLT और दूसरी सरकारी संस्थाओं से मंज़ूरी मिलने में देरी के कारण डीमर्जर पूरा करने की डेडलाइन 30 सितंबर, 2025 तक बढ़ा दी गई थी।
एनसीएलटी से मंजूरी मिलने के बाद वेदांता लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा, "नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा आज दिए गए आदेश का स्वागत करती है, जिसमें कंपनी की डीमर्जर स्कीम को मंज़ूरी दी गई है। यह मंज़ूरी वेदांता के ऐसे फोकस्ड, सेक्टर-लीडिंग कंपनियों में बदलने की प्रक्रिया में एक अहम पड़ाव है, जिनके पास स्पष्ट रणनीतिक लक्ष्य और समर्पित कैपिटल स्ट्रक्चर होंगे। कंपनी अब इस स्कीम को लागू करने के लिए ज़रूरी कदम उठाएगी।"
डीमर्जर से क्या फायदे?
किसी कंपनी का डीमर्जर, खुद कंपनी और शेयरधारकों के लिए फायदेमंद होता है। दरअसल, डीमर्जर से कंपनियों को अपने अलग-अलग बिजनेस पर बेहतर तरीके से फोकस करने, शेयरधारकों के लिए वैल्यू बढ़ाने, वित्तीय पारदर्शिता लाने और मैनेजमेंट को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलती है, जिससे कंपनी की हर इकाई अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन कर पाती है।
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जैसे हाल ही में टाटा मोटर्स का डीमर्जर हुआ था, जिसके तहत टाटा मोटर्स कमर्शियल और पैसेंजर व्हीकल बिजनेस अलग हो गया था।

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