चिप्स-नमकीन बनाने वाली कंपनी के पीछे पड़े PepsiCo-ITC, टाटा-रिलायंस भी साध चुके निशाना; आखिर क्या है इसमें ऐसा
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी कंपनी जनरल मिल्स भारत की वेफर्स कंपनी बालाजी वेफर्स में निवेश करने की संभावना तलाश रही है। पेप्सिको और आईटीसी लिमिटेड जैसी कंपनियां भी बालाजी में हिस्सेदारी हासिल करने की दौड़ में हैं। टाटा और रिलायंस भी बालाजी से संपर्क कर चुके हैं।

नई दिल्ली। द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की दिग्गज FMCG कंपनी जनरल मिल्स इंक की नजरे भारत की टॉप वेफर्स कंपनी बालाजी वेफर्स पर है। वह निवेश की संभावना तलाश रही है। General Mills से पहले इस लाइन में और भी कई कंपनियां लगी हैं जो बालाजी को अपने साथ जोड़ने के प्रयास कर रही हैं।
बालाजी में निवेश करने की चाहत लिए सिर्फ जनरल इंक ही लाइन में नहीं बल्कि पेप्सिको, आईटीसी लिमिटेड और कई निजी इक्विटी फंडों सहित कई दावेदारों इस लिस्ट में हैं। बातचीत का केंद्र भारत के सबसे मजबूत क्षेत्रीय ब्रांडों में से एक, इस घरेलू स्नैक निर्माता में एक बड़ी अल्पमत हिस्सेदारी हासिल करना है।
बालाजी सिर्फ बेचना चाहते हैं सिर्फ 10 फीसदी हिस्सेदारी
ET की रिपोर्ट के अनुसार मिनियापोलिस स्थित पिल्सबरी और बेट्टी क्रोकर जैसे ब्रांडों के मालिक ने बालाजी के प्रमोटरों से एक प्रस्ताव के साथ संपर्क किया है जिससे नियंत्रण हिस्सेदारी हासिल हो सकती है। हालांकि, बालाजी के संस्थापक फिलहाल केवल लगभग 10% हिस्सेदारी बेचने को तैयार हैं।
बालाजी के संस्थापक ने चंदू विरानी ईटी से कहा कि कंपनी कई कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है। यह प्रक्रिया पेशेवर विशेषज्ञता लाने के लिए है, न कि रोजमर्रा के कामकाज के लिए धन जुटाने के लिए।
विरानी ने कहा, "हमारे पास पर्याप्त नकदी भंडार है और हम इसे बेचने की योजना नहीं बना रहे हैं। जुटाई गई कोई भी पूंजी एक पारिवारिक ट्रस्ट में रखी जाएगी, न कि व्यावसायिक जरूरतों के लिए इस्तेमाल की जाएगी।"
विरानी ने आगे कहा कि इसका उद्देश्य ऐसे रणनीतिक साझेदारों को आकर्षित करना है जो परिचालन दक्षता में सुधार ला सकें और बालाजी को भविष्य में सूचीबद्धता के लिए तैयार कर सकें।
टाटा और रिलायंस ने भी किया था संपर्क
बालाजी के संस्थापक ने चंदू विरानी ने बताया कि कुछ महीने पहले रिलायंस और टाटा समूह ने भी उनसे संपर्क किया था। उन्होंने कहा, "टाटा और रिलायंस ने भी कुछ महीने पहले हमसे संपर्क किया था, लेकिन हम ज्यादा मूल्यांकन पर भी नियंत्रण छोड़ने को तैयार नहीं हैं।"
1982 में राजकोट के एक सिनेमा हॉल को स्नैक्स की एक छोटी आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित इस कंपनी का वार्षिक राजस्व अब लगभग 6,500 करोड़ रुपये और शुद्ध लाभ लगभग 1,000 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2025) है।
नमकीन और भुजिया के बाजार में 65 फीसदी हिस्सेदारी
बालाजी गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान के संगठित स्नैक्स बाजार पर हावी है और इन क्षेत्रों में चिप्स, नमकीन और भुजिया के बाजार में इसकी लगभग 65% हिस्सेदारी है। अपने सीमित दायरे के बावजूद, बालाजी, हल्दीराम और पेप्सिको के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा नमकीन स्नैक्स ब्रांड है।
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