US-China के लिए आज का दिन अहम; टैरिफ लागू हुआ तो छिड़ सकता है व्यापार युद्ध, हिल सकती है दुनिया की अर्थव्यवस्था?
आज अमेरिका और चीन के बीच व्यापार संघर्षविराम खत्म होने वाला है। अगर दोनों देश बातचीत का समय आगे नहीं बढ़ाते हैं या फिर टैरिफ नीति फिर से लागू करते हैं तो दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध (US-China trade war) और तेज हो सकता है जिसने इस साल की शुरुआत में वैश्विक बाजारों को हिलाकर रख दिया था।

नई दिल्ली| US-China trade war : अमेरिका और चीन के बीच 'व्यापार संघर्षविराम' (US-China trade truce) मंगलवार, 12 अगस्त को खत्म होने वाला है। अगर दोनों देश बातचीत का समय नहीं बढ़ाते या आखिरी वक्त पर कोई समझौता नहीं होता, तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) चीनी आयात पर भारी टैरिफ फिर से लगा सकते हैं। इसके जवाब में चीन भी (China Tariffs) अमेरिकी सामान पर टैरिफ बढ़ा सकता है।
पिछले महीने स्वीडन में हुई बातचीत के बाद दोनों देशों के आर्थिक अधिकारी एक अस्थायी समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश में हैं। ट्रंप के सलाहकारों को उम्मीद थी कि राष्ट्रपति इस समझौते को मंजूरी दे देंगे, लेकिन अभी तक उन्होंने सार्वजनिक रूप से कोई समय विस्तार नहीं दिया।
अगर टैरिफ फिर से लागू होते हैं, तो दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध (US-China trade war) और तेज हो सकता है, जिसने इस साल की शुरुआत में वैश्विक बाजारों को हिलाकर रख दिया था। सोमवार को व्हाइट हाउस (White House) में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जब ट्रंप से इस डेडलाइन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कुछ भी साफ नहीं बताया।
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'चिनफिंग से मेरे रिश्ते बहुत अच्छे'
चीन के साथ संबंधों और टैरिफ पर छूट की समयसीमा बढ़ाने की संभावना पर ट्रंप ने कहा कि, "हम चीन के साथ बहुत अच्छे से पेश आ रहे हैं। वे अमेरिका को भारी शुल्क दे रहे हैं। देखते हैं क्या होता है। वे भी काफी अच्छे से पेश आ रहे हैं। राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ मेरे संबंध बहुत अच्छे हैं।'' खासकर तब, जब रविवार रात ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर चीन से अमेरिकी सोयाबीन की खरीद चार गुना करने की मांग की।
क्या है इस युद्धविराम की कहानी?
इस साल अमेरिका और चीन के बीच तीन बार औपचारिक व्यापार वार्ता हुई। ट्रंप ने चीनी सामान पर टैरिफ बढ़ाकर 145% तक कर दिया। जवाब में चीन ने अमेरिकी निर्माताओं के लिए जरूरी रेयर अर्थ मैग्नेट (Rare Earth Magnet) के निर्यात पर रोक लगा दी।
तनाव कम करने के लिए 90 दिन का युद्धविराम हुआ, जिसमें अमेरिका ने अपने टैरिफ 30% तक कम किए। और चीन ने अमेरिकी सामान पर टैरिफ 10% किया और मैग्नेट निर्यात पर सहमति दी। जुलाई के अंत में स्वीडन में हुई बातचीत के बाद ट्रंप के सलाहकारों को उम्मीद थी कि युद्धविराम को 90 दिन और बढ़ाया जाएगा।
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अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने कहा कि अगर समझौता नहीं हुआ, तो चीनी आयात पर टैरिफ 80% तक बढ़ सकते हैं। हालांकि, वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट (scott bessent) ने इसे कम गंभीर बताते हुए कहा कि केवल तकनीकी मुद्दों को सुलझाने की जरूरत है।
इधर, भले ही ट्रंप ने समयसीमा बढ़ाने के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा, लेकिन ट्रंप प्रशासन पहले ही इसे बढ़ाने के संकेत दे चुका है। अगर यह नहीं बढ़ी तो चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़कर 145 प्रतिशत हो जाएगा।
और फिर बढ़ा बातचीत का दायरा
बातचीत अब सिर्फ टैरिफ तक सीमित नहीं है। बेसेन्ट ने बताया कि अमेरिका ने चीन की अतिरिक्त विनिर्माण क्षमता और रूस-ईरान से तेल खरीद पर चिंता जताई है। साथ ही, अमेरिकी माइक्रोचिप्स के निर्यात नियंत्रण पर भी चर्चा हो रही है, जो चीन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम के लिए चाहिए।
ट्रंप प्रशासन ने सेमीकंडक्टर्स (Semiconductors) और अन्य उत्पादों की राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के बावजूद बातचीत में लेन-देन का रुख अपनाया है। एनविडिया और एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेज जैसी कंपनियों को चीन को एआई चिप्स (AI Chips) बेचने से होने वाली आय का 15% अमेरिका को देना होगा। यह एक अनोखा वित्तीय समझौता है।
चीन भी रूस से तेल खरीदता है, लेकिन उस पर...
इस महीने अमेरिका ने जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ के साथ कई व्यापार समझौते किए, जिनमें कम टैरिफ के बदले बड़े निवेश की बात हुई। दूसरी ओर, ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए टैरिफ को 50% तक दोगुना कर दिया। हालांकि, चीन पर अभी ऐसी कार्रवाई नहीं हुई, जो रूसी तेल भी खरीदता है।
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पहले कार्यकाल में भी टूटा था समझौता
ट्रंप के पहले कार्यकाल में दोनों देशों के बीच एक बड़ा व्यापार समझौता हुआ था, जिसमें चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पाद खरीदने का वादा किया था। लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान यह समझौता टूट गया और दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ गए। इस दौरान ट्रंप ने कहा कि वह शी चिनपिंग से मिलने को तैयार हैं, लेकिन केवल तभी अगर दोनों देश व्यापार समझौते पर सहमत हों।
ट्रंप बोले- 'समझौता नहीं तो मुलाकात नहीं'
पिछले हफ्ते ट्रंप ने एक इंटरव्यू में कहा था कि, "शी ने मुलाकात की मांग की है। अगर हम समझौता करते हैं, तो शायद साल के अंत तक मुलाकात हो सकती है। अगर समझौता नहीं हुआ, तो मैं मुलाकात नहीं करूंगा।"
हालांकि, ये कहना गलत नहीं होगा कि आज यानी 12 अगस्त का दिन पूरी दुनिया के हिसाब से बहुत बड़ा दिन होने वाला है। क्योंकि, जहां अलास्का में ट्रंप और पुतिन की मीटिंग तो वहीं अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ पर युद्धविराम का आखिरी दिन है। देखना दिलचस्प होगा कि आज क्या होता है?
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