UPI से अगर गलत नंबर पर पेमेंट हो जाए तो क्या पैसे वापस मिल सकते हैं? एक्सपर्ट से जानें
आज हम हर छोटी-बड़ी पेमेंट के लिए यूपीआई का इस्तेमाल करते हैं। यूपीआई के जरिए आप चंद मिनटों में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। लेकिन तब क्या होगा, जब आप कि ...और पढ़ें

नई दिल्ली। गांव से लेकर शहर तक लगभग हर जगह आज पेमेंट के लिए यूपीआई का इस्तेमाल होने लगा है। यूपीआई ऐप के जरिए आप चंद मिनटों में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। यूपीआई आने से कैश चोरी का खतरा भी कम हुआ है।
लेकिन तब क्या होगा अगर चंद मिनटों में आपकी पेमेंट गलत नंबर या यूपीआई आईडी पर ट्रांसफर हो जाएं। सबसे बड़ा सवाल कि क्या गलत नंबर पर हुई पेमेंट वापस मिल सकती है। आइए जानते हैं कि इसे लेकर एक्सपर्ट ने हमें क्या बताया है?
हमने इसे लेकर रुपया पैसा के निदेशक मुकेश पांडे से बातचीत की। उन्होंने बताया कि किस तरह से हम गलत अकाउंट/नंबर/यूपीआई आईडी में हुई पेमेंट वापस ले सकते हैं। इसके साथ ही हमें क्या स्टेप्स लेने चाहिए?
एक्सपर्ट ने क्या कहा?
उन्होंन कहा कि आजकल UPI पेमेंट करना जितना आसान हो गया है, उतनी ही जल्दी गलती से पैसे किसी गलत नंबर पर भेज देने के मामले भी बढ़ गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, गलत खाते में गए पैसे वापस मिल सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी जल्दी कार्रवाई करते हैं।
सबसे पहले, बिना समय गंवाए अपने बैंक की शाखा या कस्टमर केयर से संपर्क करें और ट्रांजैक्शन की UPI आईडी उन्हें दें। बैंक सामने वाले व्यक्ति से राशि लौटाने का अनुरोध करता है। अगर प्राप्तकर्ता सहमत हो जाता है, तो रकम आसानी से वापस आ जाती है। लेकिन यदि वह मना कर दे, तो मामला बैंक के माध्यम से आरबीआई ओम्बड्समैन तक भी पहुंच सकता है।
NPCI के अनुसार, साल 2024 में UPI से जुड़ी लगभग 12–15% शिकायतें गलत अकाउंट में पैसे भेजने की थीं, जिनमें से अधिकांश का समाधान तब ही हो पाया जब लोगों ने तुरंत रिपोर्ट किया। इसलिए हर बार लेनदेन करने से पहले नाम और नंबर को दोबारा जांच लेना ही सबसे सुरक्षित तरीका है।
प्लूटो वन के फाउंडर एंड मैनेजिंग पार्टनर, रोहित महाजन ने कहा NPCI ने इसे लेकर एक स्पष्ट और व्यवस्थित डिस्प्यूट रेज़ोल्यूशन फ्रेमवर्क तैयार किया है। यदि लेन-देन सफलतापूर्वक किसी वैध खाते में पहुंच चुका है और अगर वह गलत व्यक्ति निकले तो बैंक या NPCI सीधे रकम वापस नहीं कर सकते।
प्रक्रिया के तहत NPCI पहले यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी पक्ष के लिए कोई फ्रॉड जोखिम न हो और फिर प्राप्तकर्ता की सहमति ली जाती है। इस तरह की स्थिति में शिकायत दर्ज करना आवश्यक होता है, जो बैंक/UPI ऐप या NPCI की ऑनलाइन शिकायत प्रणाली के माध्यम से किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर, तकनीकी त्रुटि, असफल लेन-देन या किसी विवाद की स्थिति में रिफंड का प्रोसेस अधिक सरल होता है।

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