अब UPI से बिना पिन डाले ऑफलाइन मोड में कर सकेंगे 500 रुपये तक का पेमेंट, बढ़ी ट्रांजेक्शन लिमिट
आरबीआई ने उन जगहों पर यूपीआई-लाइट से भुगतान करने की लिमिट को 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया है जहां इंटरनेट संबंधी दिक्कत रहती है। आपको बता दें कि यूपीआई पर छोटे मूल्य के लेनदेन की गति बढ़ाने के लिए बैंकों के लिए प्रसंस्करण संसाधनों को अनुकूलित करने के लिए सितंबर 2022 में यूपीआई-लाइट नामक एक ऑन-डिवाइस वॉलेट लॉन्च किया गया था।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए नए कदम उठाती रहती है। इसको लेकर केंद्रीय बैंक ने एक और घोषणा की है। रिजर्व बैंक ने गुरुवार को उन क्षेत्रों में यूपीआई-लाइट वॉलेट के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ऑफलाइन भुगतान लेनदेन की ऊपरी सीमा को मौजूदा 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया, जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी कमजोर है या उपलब्ध नहीं है। आइए, पूरी खबर के बारे में जान लेते हैं।
Offline Payment को लेकर RBI का नया अपडेट
जैसा कि हमने आपको पहले बताया, आरबीआई ने उन जगहों पर यूपीआई-लाइट से भुगतान करने की लिमिट को 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया है, जहां इंटरनेट संबंधी दिक्कत रहती हैं। हालांकि, भुगतान साधन पर ऑफलाइन लेनदेन की कुल सीमा किसी भी समय 2,000 रुपये रहती है।
आरबीआई ने ऑफलाइन मोड में छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतान के लिए लेनदेन सीमा बढ़ाने पर एक परिपत्र में कहा, "ऑफलाइन भुगतान लेनदेन की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया है।"
आसानी से हो सकेंगे छोटे-मोटे पेमेंट
यूपीआई पर छोटे मूल्य के लेनदेन की गति बढ़ाने के लिए, बैंकों के लिए प्रसंस्करण संसाधनों को अनुकूलित करने के लिए सितंबर 2022 में यूपीआई-लाइट नामक एक ऑन-डिवाइस वॉलेट लॉन्च किया गया था, जिससे लेनदेन विफलताओं को कम किया जा सके।
इस प्रोडक्ट ने लोकप्रियता हासिल की है और वर्तमान में प्रति माह 10 मिलियन से अधिक लेनदेन की प्रक्रिया करता है। इस महीने की शुरुआत में, आरबीआई ने यूपीआई-लाइट के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नियर फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी) तकनीक का उपयोग करके ऑफलाइन लेनदेन की सुविधा देने का प्रस्ताव दिया था।
ऐसे काम करता है ये सिस्टम
एनएफसी के माध्यम से लेनदेन के लिए पिन सत्यापन की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लिए कहा गया था कि ये सुविधा न केवल खुदरा डिजिटल भुगतान को सक्षम करेगी बल्कि गति भी सुनिश्चित करेगी, साथ ही उन स्थितियों में लेनदेन में न्यूनतम गिरावट होगी जहां इंटरनेट या दूरसंचार कनेक्टिविटी कमजोर है या फिर उपलब्ध ही नहीं है।