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    Trade Deficit: जुलाई में भारत के व्यापारिक घाटे में आई कमी, आयात भी 10 अरब डॉलर कम हुआ

    By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav Shalya
    Updated: Mon, 14 Aug 2023 02:59 PM (IST)

    Trade Deficit Data भारत का व्यापारिक घाटा जुलाई में कम होकर 20.67 अरब डॉलर रह गया है। यह पिछले साल समान अवधि में 25.43 अरब डॉलर था। आयात में भी कमी देखने को मिली है और यह पिछले साल के मुकाबल 10 अरब डॉलर से अधिक घटकर 52.92 अरब डॉलर रह गया है। हालांकि निर्यातकों को ऑर्डर कम मिलने के चलते निर्यात में भी कमी हुई है।

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    पिछले साल जुलाई में व्यापारिक घाटा 25.43 अरब डॉलर था।

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Import Export Data July 2023: भारत के निर्यात में जुलाई में कमी देखने को मिली है और यह घटकर 32.25 अरब डॉलर रह गया है। पिछले साल जुलाई में निर्यात 38.34 अरब डॉलर था। भारत के निर्यात में कमी आने के पीछे का बड़ा कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था का धीमा होना, जिसके कारण निर्यातकों को यूरोप और अमेरिका से पिछले साल मुकाबले कम ऑर्डर मिल रहे हैं।

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    निर्यात के साथ देश के आयात में जुलाई 2023 में कमी आई है। यह गिरकर 52.92 अरब डॉलर पर आ गया है, जो कि पहले 63.77 अरब डॉलर का था।

    व्यापारिक घाटे में आई कमी

    भारत का व्यापारिक घाटा जुलाई में कम होकर 20.67 अरब डॉलर रह गया है। यह पिछले साल समान अवधि में 25.43 अरब डॉलर था। इस साल जून में भारत का व्यापारिक घाटा 20.13 अरब डॉलर और मई में 22.10 अरब डॉलर था।

    अप्रैल से जुलाई के बीच निर्यात 14.5 प्रतिशत घटा

    सरकार की ओर से जारी किए डाटा के मुताबिक, इस वित्त वर्ष के पहले चार महीने यानी अप्रैल से जुलाई के बीच निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 136.22 अरब डॉलर रह गया है। भारत द्वारा निर्यात की जानी वाली चीजों मे इलेक्ट्रॉनिक गुड्स, आयरन, ड्रग, पेट्रोलियम, ज्वेलरी और फर्मा प्रोडक्ट्स हैं। पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का निर्यात सालाना आधार पर 11.41 प्रतिशत और हीरे एवं ज्वेलरी का निर्यात 3.68 प्रतिशत घटा है।

    अप्रैल से जुलाई के भी आयात 13.79 प्रतिशत घटकर 213.2 अरब डॉलर का रह गया है। वाणिज्य सचिव (Commerce secretary) सुनील बर्थवाल ने कहा कि वैश्विक अस्थिरता अभी भी बनी हुई है। इस कारण कई देशों के आयात और निर्यात में गिरावट देखने को मिल रही है।

    दुनिया में सख्त मौद्रिक नीतियां

    दुनिया के सभी देशों में महंगाई एक बड़ी समस्या बनी हुई है। इस कारण लगभग सभी देशों की ओर से ब्याज दरों को बढ़ाया जा रहा है, जिसके कारण ग्लोबल अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो रही है।