संरक्षणवाद, प्रतिस्पर्धी अवमूल्यन से बचें जी-20 देश : जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जी-20 देशों से ग्लोबल ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाते हुए और प्रयास करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि देशों को व्यापार संरक्षणवादी पहलों से दूर रहने और मुद्रा के प्रतिस्पर्धी अवमूल्यन से बचने की जरूरत है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जी-20 देशों से ग्लोबल ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाते हुए और प्रयास करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि देशों को व्यापार संरक्षणवादी पहलों से दूर रहने और मुद्रा के प्रतिस्पर्धी अवमूल्यन से बचने की जरूरत है। विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक निवेश पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
जेटली ने जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक में कहा कि मौद्रिक नीति के उपाय अपनी सीमा पर पहुंच गए हैं। इसका लाभ बराबर नहीं पहुंचा है। यह राजकोषीय नीति के पुनर्आकलन का सही समय है। 2015 में सभी जी-20 देशों में आयात और निर्यात में गिरावट का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री बोले कि ग्लोबल इकोनॉमी के व्यापार इंजन में जान फूंकने के लिए प्रभावी और ठोस नीतिगत प्रतिक्रिया को स्पष्ट करने की जरूरत है। उन्होंने ग्लोबल फाइनेंशियल सेफ्टी नेट में असंतुलन को ध्यान में रखने की बात भी कही।
उभरते बाजारों के पास विकल्प नहीं
जेटली बोले कि विकसित देशों के पास मुद्रा संबंधी झटकों से निपटने के लिए अदला-बदली की गुंजाइश है। लेकिन उधारी और इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन दोनों के लिए मुद्रा भंडार पर आश्रित उभरते बाजारों के पास ऐसे उपाय नहीं हैं। ग्लोबल व क्षेत्रीय वित्तीय सुरक्षा के दायरे में बढ़ोतरी के साथ निगरानी बढ़ाने की जरूरत है। नई वित्तीय प्रणालियों के जरिये भी इस काम को किया जा सकता है। जी-20 के सदस्य देशों को घरेलू प्राथमिकताओं के साथ अपनी अंतरराष्ट्रीय भूमिका के बीच संतुलन बैठाना होगा।
भारत के लिए भी जोखिम
अमेरिका के सात दिवसीय दौरे पर पहुंचे जेटली ने कहा कि ग्रोथ को संकट पूर्व स्तर पर लाने के विभिन्न देशों और सामूहिक प्रयास को सीमित सफलता मिली है। ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक के लिए वितरण का जोखिम कायम है। ग्रोथ निराशाजनक बनी हुई है। ग्लोबल विकास दर के अनुमानों को लगातार घटाया जा रहा है।
बनी रहेगी तेज आर्थिक वृद्धि
जेटली बोले कि भारत ने पिछली तीन तिमाहियों से लगातार सबसे अधिक विकास दर दर्ज की है। मानसून सामान्य रहा तो यह गति बरकरार रहेगी। मैन्यूफैक्चङ्क्षरग में वैल्यू एडिशन की लागत कम होने के घटते असर, कॉरपोरेट क्षेत्र पर दबाव बरकरार रहने और बैंकिंग प्रणाली में जोखिम दूर करने व ग्लोबल ग्रोथ तथा व्यापार परिदृश्य में नरमी से भारत के आउटलुक के लिए गिरावट का जोखिम है। भारत सरकार नीतिगत उपायों के जरिये इन चुनौतियों से निपट रही है।
ये हैं बड़ी चुनौतियां
ग्लोबल रिकवरी के सामने जो जोखिम हैं, उनमें कमजोर मांग, संकुचित वित्तीय बाजार, व्यापार में नरमी और उतार-चढ़ाव वाला पूंजी प्रवाह शामिल हैं। जेटली ने कहा कि भारत ने हमेशा ग्लोबल आर्थिक उथल-पुथल के उपाय के तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित नीतिगत फैसले की जरूरत पर बल दिया है।
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