भारत के Green Hydrogen मिशन के साथ आएंगी ये तीन विदेशी एजेंसियां, 28 अरब डॉलर के मदद का दिया प्रस्ताव
भारत की ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में मदद देने के लिए तीन बड़ी एजेंसियां सामने आई है। ये एजेंसियां कुल 28 अरब डॉलर का मदद देने का प्रस्ताव दिया है। ये कंपन ...और पढ़ें

नई दिल्ली,बिजनेस डेस्क: भारत ग्रीन हाइड्रोजन का ग्लोबल हब बनने के लिए के एक के बाद एक बड़ा कदम उठा रहा है जिसे देखते हुए तीन बड़ी विदेशी एजेंसियों भी भारत को इस अभियान में मदद देने के लिए 28 अरब डॉलर का प्रस्ताव दिया है।
ये कंपनियां करेंगी मदद
केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत के ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में वित्तीय विकास से जुड़ी दुनिया की तीन बड़ी एजेंसियां सामने आई हैं। पहला एडीबी, दूसरा यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक (इआइबी) और तीसरा विश्व बैंक ने अलग-अलग तरीके से तकरीबन 28 अरब डॉलर के मदद देने का प्रस्ताव दिया है।

ग्रीन हाइड्रोजन का निर्यातक देश बनने की संभावना
हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि भारत अभी तक ऊर्जा का आयात करता रहा है लेकिन ग्रीन हाइड्रोजन के विकास के साथ उसके एक ऊर्जा निर्यातक देश बनने की पूरी संभावना है और कई देश भारत से अभी से ही ग्रीन हाइड्रोजन का आयात करने की इच्छा जता रहे हैं।
कौन सी कंपनी कितना करेगी निवेश?
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि यूरोप की इआइबी भारत का हाइड्रोजन मित्र बनेगी। इआइबी देश में बड़ी-बड़ी कंपनियों को ग्रीन हाइड्रोजन अपनाने के लिए एक अरब यूरो का निवेश करेगी।
वहीं एडीबी अगले पांच वर्षों में 20 से 25 अरब डॉलर की मदद देने की बात कही है और विश्व बैंक ने 1.5 अरब डॉलर की राशि देने की बात कही है।
इस वजह से विदेशी एजेंसियां करना चाहती है निवेश
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने इसी साल जनवरी, 2023 में ग्रीन हाइड्रोडन मिशन का ऐलान किया था। इस मिशन के निर्माण की जमीन तैयार करने के लिए 19,744 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की घोषणा की गई थी।
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ग्रीन हाइड्रोजन के लिए सबसे जरूरी तत्व हैं रिनीवेबल सेक्टर में बनी ऊर्जा और भारत अभी दुनिया में सबसे सस्ती दर पर सौर ऊर्जा बना रहा है। यही वजह है कि विदेशी एजेंसियां भी यहां ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़े उद्योगों में दांव लगाने को तैयार है।


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