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    सेबी चीफ माधवी पुरी बुच की मुश्किलें बढ़ाएंगे Hindenburg Research के तीन आरोप, अब क्या होगा आगे?

    Updated: Sun, 11 Aug 2024 05:12 PM (IST)

    अमेरिकी शॉर्ट सेलर Hindenburg Research ने इस बार सीधे सेबी चीफ माधवी पुरी बुच पर निशाना साधा है। उसने सेबी चीफ पर हितों के टकराव समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग का दावा है कि माधवी के कार्यकाल के दौरान सेबी ने कई ऐसे नियम बनाए जिसका फायदा सीधे तौर पर ब्लैकस्टोन जैसी प्राइवेट इक्विटी फर्म को फायदा पहुंचाना है। इसमें उनके पति बतौर वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त हैं।

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    बुच दंपती ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी शॉर्ट सेलर ने कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) चीफ माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। बुच दंपती ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को खारिज करके अपनी सफाई पेश कर दी हैं, लेकिन इससे मामला खत्म नहीं हुआ। हिंडनबर्ग रिसर्च के तीन आरोप ऐसे हैं, जो सेबी चीफ की मुश्किलें काफी बढ़ा सकते हैं।

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    हिंडनबर्ग रिसर्च का पहला

    हिंडनबर्ग रिसर्च का दावा है कि 22 मार्च 2017 को माधवी पुरी बुच के पति धवल बुच ने मॉरीशस के फंड एडमिनिस्ट्रेशन ट्राइडेंट ट्रस्ट को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने अपने खातों का एकमात्र अधिकृत संचालक बनाए जाने का अनुरोध किया था। हिंडनबर्ग रिसर्च का कहना है कि यह सेबी मेंबर के तौर पर माधवी बुच की नियुक्ति से कुछ ही हफ्ते पहले का मामला है।

    धवल बुच सेबी मेंबर जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील पद नियुक्ति से पहले अपनी पत्नी का नाम ग्लोबल डायनेमिक ऑपर्च्युनिटीज फंड (जीडीओएफ) से हटाने चाहते थे। माधवी अप्रैल 2017 में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में सेबी में शामिल हो गईं। फिर बुच दंपती ने 28 फरवरी 2018 को सभी यूनिटों की भुना लिया।

    हिंडनबर्ग रिसर्च का दूसरा आरोप

    माधबी पुरी बुच के पास अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक अगोरा पार्टनर्स नाम की एक ऑफशोर सिंगापुर स्थित कंसल्टिंग फर्म में कथित तौर पर 100 फीसदी हिस्सेदारी थी। उसी समय वह सेबी चीफ भी थीं। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि 16 मार्च, 2022 को सेबी चेयरपर्सन के तौर पर अपनी नियुक्ति के ठीक दो हफ्ते बाद उन्होंने सभी शेयर अपने पति को ट्रांसफर कर दिए।

    हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट की दावा करती है कि सिंगापुर की संस्थाओं को फाइनेंशियल डिटेल्स का खुलासा करने से छूट मिली हुई है। इसलिए, यह स्पष्ट नहीं है कि कंसल्टिंग बिजनेस से बुच दंपती को कितना रेवेन्यू मिला और उनके क्लाइंट कौन थे। रिपोर्ट के मुताबिक, माधवी बुच के पास फिलहाल एक भारतीय कंसल्टिंग फर्म- अगोरा एडवाइजरी में 100 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसमें उनके पति निदेशक हैं।

    हिंडनबर्ग रिसर्च का तीसरा आरोप

    हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आरोप लगाती है कि 2019 में धवल बुच को अमेरिका के प्रतिष्ठित इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट ग्रुप ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया गया और उस माधवी बुच सेबी सदस्य के रूप में कार्यरत थीं। धवल को इतनी अहम पोजिशन तब मिली, जब उन्होंने पहले कभी किसी फंड, रियल एस्टेट या कैपिटल मार्केट में काम नहीं किया। उन्हें ज्यादातर प्रोक्योरमेंट और सप्लाई चेन के सभी पहलुओं का अनुभव था।

    ब्लैकस्टोन REITS असेट क्लास के सबसे बड़े इन्वेस्टर्स और स्पॉन्सर्स में से एक है। ब्लैकस्टोन ने माइंडस्पेस और नेक्सस सेलेक्ट ट्रस्ट को प्रायोजित किया, जो भारत का दूसरा और चौथा REIT है जिसे IPO के लिए सेबी की मंजूरी मिली है। हिंडनबर्ग का आरोप है कि ब्लैकस्टोन के सलाहकार के रूप में धवल बुच के कार्यकाल के दौरान ही सेबी ने नियमों में कई ऐसे बदलाव किए, जिनका मकसद ब्लैकस्टोन जैसी प्राइवेट इक्विटी फर्मों को लाभ पहुंचाना है।

    आरोपों पर क्या बोली बुच दंपती

    बुच दंपती ने एक सयुंक्त बयान जारी करके हिंडनबर्ग रिसर्च के सभी आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि उनका वित्तीय लेन-देन एक खुली किताब की तरह है, जो हमेशा से सबके सामने है। बुच दंपती ने कहा, 'मार्केट रेगुलेटर सेबी ने गैरकानूनी बातों के लिए हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ एक्शन लिया है और उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया है। लेकिन, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी के सवालों का जवाब देने के बजाय हमारा चरित्र हनन करने की कोशिश की है।'

    बुच दंपती का कहना है कि सेबी को सभी जरूरी वित्तीय रिकॉर्ड उपलब्ध कराए जा चुके हैं और उन्हें किसी भी अथॉरिटी के सामने अपना कोई भी वित्तीय दस्तावेज पेश करने में कोई एतराज नहीं। इसमें वे दस्तावेज भी शामिल हैं, जो उनके सेबी चीफ बनने से पहले के हैं। बुच दंपती ने यह भी कहा कि हम पूरी पारदर्शिता के लिए सही समय पर विस्तृत बयान जारी करेंगे।

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