TCS, Infosys, HCL... "ज्यादा लोग, ज्यादा ग्रोथ" से हटकर कौन सा फॉर्मूला अपना रहीं देश की IT कंपनियां?
tcs hcl and Infosys layoffs news पहले IBM ने 8000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला। फिर Microsoft ने 9000 प्रोफेशनल्स की छंटनी की और अब TCS ने 12 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की कटौती कर दी है। वो भी तब जब कंपनियों की कमाई स्थित या फिर बढ़ी ही है। कंपनियां ज्यादा लोग ज्यादा ग्रोथ वाले फॉर्मूले से हटकर कम लोग ज्यादा आउटपुट फॉर्मूले को अपना रही हैं।

नई दिल्ली| tcs layoffs news : पहले IBM ने 8,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला। फिर Microsoft ने 9000 प्रोफेशनल्स की छंटनी की और अब देश की सबसे बड़ी IT कंपनी TCS ने 12 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की कटौती कर दी है। वो भी तब, जब देश की आईटी कंपनियों की कमाई स्थित या फिर बढ़ी ही है।
कंपनियां "ज्यादा लोग, ज्यादा ग्रोथ" वाले फॉर्मूले से हटकर "कम लोग, ज्यादा आउटपुट" फॉर्मूले को अपना रही हैं। अब ये कहना गलत नहीं होगा कि देश का आईटी सेक्टर बुरे दौर से गुजर रहा है।
क्योंकि, एक ओर कंपनियां लगातार बड़ी संख्या में छंटनी कर रही हैं तो वहीं उन्होंने हायरिंग पर भी रोक लगा दी है। जिसका सीधा असर फ्रैशर्स पर पड़ रहा है। इन कंपनियों में Infosys, Wipro और HCL भी शामिल हैं। जिन्होंने हाल के महीने में नई भर्तियां धीमी कर दी हैं।
अच्छा मुनाफा, फिर छंटनी क्यों?
TCS ने अप्रैल-जून 2025 (Q1 FY26) में 63,437 करोड़ रुपए की कमाई दर्ज की, जो 1.3% की बढ़त है। मुनाफा भी 5.9% बढ़ा। Infosys की कमाई 7.5% बढ़कर 42,279 करोड़ रुपए हो गई। HCLTech ने ज्यादातर कंपनियों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 8.1% की ग्रोथ दिखाई। इसके बावजूद कंपनियों ने वर्कफोर्स घटा दिया या फिर उनकी संख्या स्थिर ही रही।
TCS ने वित्त-वर्ष 26 की शुरुआत कमजोर तिमाही से की और फिर 12 हजार (2% वर्कफोर्स) से ज्यादा कर्मचारियों को हटा दिया। Infosys ने वित्त-वर्ष 2025 में सिर्फ 15 हजार ट्रेनी ही रखे, जो पहले की तुलना में कम है। HCLTech ने भी नई भर्तियों की रफ्तार कम कर दी। यानी कंपनियों की कमाई तो हो रही है, लेकिन कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ रही।
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कटौती की असली वजह क्या?
कर्मचारियों की कटौती में मुख्य दो वजहें हैं। पहली वजह है AI का चलन और दूसरी मुख्य वजह है भर्तियों में पिरामिड मॉडल का टूटना।
1. AI और ऑटोमेशन का असर: TCS, Infosys और HCLTech जैसे दिग्गज अब अपने काम में AI और GenAI (जनरेटिव AI) का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं। इससे काम की रफ्तार और कुशलता बढ़ी है। लेकिन अब पहले जितनी संख्या में कर्मचारियों की जरूरत नहीं पड़ती। TCS के CEO के. कृतिवासन (K Krithivasan) के मुताबिक, काम करने के तरीके बदल रहे हैं, हमें भविष्य के लिए तैयार रहना होगा। इसलिए हमने बड़े पैमाने पर AI लागू किया है।"
2. पिरामिड मॉडल का टूटना: आमतौर पर कंपनियां पिरामिड मॉडल यानी नीचे से ज्यादा (जैसे फ्रैशर्स) लोगों को भर्ती करती थीं, और ऊपर के लेवल पर कम। लेकिन अब ऑटोमेशन बेसिक काम खुद कर रहा है, तो कंपनियां स्किल-आधारित हायरिंग की तरफ बढ़ रही हैं। फ्रेशर्स के लिए जॉब पाना पहले से ज्यादा मुश्किल हो गया है। Infosys जैसे कंपनियों ने ट्रेनिंग और सिलेक्शन प्रोसेस को और सख्त कर दिया है।
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क्या है बड़ी कंपनियों की रणनीति?
- TCS: कंपनी ने 12,260 लोगों को निकालने का ऐलान किया। साथ ही, नए कर्मचारियों की हायरिंग भी धीमी कर दी है। कंपनी ने इसे 'भविष्य की तैयारी' के लिए उठाया गया कदम बताया। हालांकि, 600 कर्मचारियों की जॉइनिंग टालने पर श्रम मंत्रालय ने TCS को नोटिस भेजा है और 1 अगस्त को मुख्य श्रम आयुक्त के सामने पेश होने को कहा है।
- Infosys: कंपनी ने फ्रेशर हायरिंग पर रोक लगा दी है। साथ ही अनुभवी कर्मचारियों को हायरिंग भी धीमी कर दी है।
कर्मचारियों के अलावा किस पर असर?
लगातार छंटनी और हारयिंग रोकने का सीधा असर फ्रेशर्स पर पड़ रहा है, जिससे लगातार उनके लिए मौके घट रहे हैं। अब केवल उन्हीं को नौकरी मिलेगी जिनके पास AI, क्लाउड, साइबर सिक्योरिटी जैसे खास स्किल्स होंगे। मौजूदा कर्मचारियों को भी खुद को बार-बार अपग्रेड करना होगा, चाहे वो मिड-लेवल पर ही क्यों ना हों।
आईटी इंडस्ट्री अब "ज्यादा लोग, ज्यादा ग्रोथ" वाले फॉर्मूले हट रही है और "कम लोग, ज्यादा आउटपुट" पर फोकस कर रही है। इसका सीधा असर इंजीनियरिंग कॉलेजों, फ्रेशर जॉब्स और स्किल ट्रेनिंग इंडस्ट्री पर पड़ेगा।
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