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    11 सितंबर को टाटा ट्रस्ट की उस बैठक में क्या हुआ, जिसके बाद बढ़ा था विवाद, डेरियस खंबाटा ने चिट्ठी में सब बताया

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 01:40 PM (IST)

    डेरियस जे खंबाटा ने 10 नवंबर को एक लेटर में उन आरोपों का कड़ा विरोध किया, जिनमें कहा गया था कि 11 सितंबर, 2025 की बैठक की कार्यवाही टाटा ट्रस्ट्स के अंदर एक "तख्तापलट" या "अधिग्रहण" का प्रयास थी। यह पत्र उन्होंने  नोएल टाटा, और ट्रस्टी वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, प्रमित झावेरी और एच.सी. जहाँगीर को संबोधित करते हुए लिखा था।

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    फाइल फोटो

    नई दिल्ली। टाटा समूह (Tata Trusts Row) में पिछले कुछ महीनों में काफी उथल-पुथल देखने को मिली, खासकर टाटा ट्रस्ट्स में ट्रस्टियों की पुनर्नियुक्ति को लेकर। इस दौरान यहां तक दावे किए जाने लगे कि यह ग्रुप दो गुटों में बंट चुका है और तख्तापलट की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन, एक चिट्ठी में डेरियस जे खंबाटा ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। वरिष्ठ वकील डेरियस जे खंबाटा द्वारा सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के प्रमुख ट्रस्टियों को लिखे गए एक गोपनीय पत्र में उन आरोपों का कड़ा विरोध किया, जिनमें कहा गया था कि 11 सितंबर, 2025 की बैठक की कार्यवाही टाटा ट्रस्ट्स के अंदर एक "तख्तापलट" या "अधिग्रहण" का प्रयास थी।

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    महाराष्ट्र के पूर्व महाधिवक्ता और भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल खंबाटा वर्तमान में दो प्रमुख टाटा ट्रस्टों - दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट - के बोर्ड में हैं।

    इन लोगों के नाम लिखा था लेटर

    मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, 10 नवंबर 2025 को लिखे गए इस लेटर में डेरियस खंबाटा ने कहा है कि वह बैठक को लेकर मीडिया में फैलाई गई बातों से व्यथित हैं और तख्तापलट के आरोप को बेतुका मानते हैं। यह लेटर डेरियस खंबाटा ने सर दोराबजी और सर रतन टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष नोएल टाटा, और ट्रस्टी वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, प्रमित झावेरी और एच.सी. जहाँगीर को संबोधित करते हुए लिखा था।

    डेरियस खंबाटा के अनुसार, 11 सितंबर की बैठक इस बात की वार्षिक समीक्षा को लेकर थी कि टाटा संस के बोर्ड में दोनों प्रमुख ट्रस्टों का प्रतिनिधित्व उनके नामित निदेशकों के माध्यम से किस प्रकार किया जाता है, न कि किसी को हटाने या नियंत्रण हथियाने के उद्देश्य से की गई कोई कवायद थी।

    खंबाटा का कहना है कि उन्हें और बैठक में मौजूद अन्य लोगों को विजय सिंह के ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं लगा और उन्हें इस बात का अफ़सोस है कि संबंधित ट्रस्टी उनकी बात सुनने के लिए मौजूद नहीं थे। इसके अलावा, उन्होंने मीडिया कवरेज में अनुचित पक्षपात और विजय को झेलनी पड़ी पीड़ा पर भी खेद व्यक्त किया।

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    11 सितंबर की इस बैठक में विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड से इस्तीफा देना पड़ा, क्योंकि 7 में से 4 ट्रस्टियों ने उनके पद पर बने रहने के खिलाफ मतदान किया था। टाटा ट्रस्ट्स के बोर्ड में तीन प्रतिनिधि थे: नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह। 11 सितंबर की घटना के बाद, वर्तमान में दो नामित निदेशक नोएल टाटा और श्रीनिवासन हैं।

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