वेणु श्रीनिवासन पर टाटा ट्रस्ट्स ने लिया बड़ा फैसला, विवाद के बीच आम सहमति से निर्णय, अब मेहली मिस्त्री पर नजरें
टाटा ट्रस्ट्स ने सर्वसम्मति से वेणु श्रीनिवासन को आजीवन ट्रस्टी के रूप में फिर से नियुक्त कर दिया है। वेणु श्रीनिवासन की पुनर्नियुक्ति और संगठन के अंदर कथित आंतरिक विभाजन के बीच अब सभी की निगाहें मेहली मिस्त्री के कार्यकाल के रेनेवल से जुड़े फैसले पर टिकी हैं। दरअसल, वेणु श्रीनिवासन को लेकर ही टाटा समूह में विवाद गहराया था।

टाटा ट्रस्ट्स ने सर्वसम्मति से वेणु श्रीनिवासन को आजीवन ट्रस्टी के रूप में फिर से नियुक्त कर दिया।
नई दिल्ली। टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) ने सर्वसम्मति से वेणु श्रीनिवासन (Venu Srinivasan reappoints) को आजीवन ट्रस्टी के रूप में फिर से नियुक्त कर दिया है। खास बात है कि टाटा ग्रुप में वेणु श्रीनिवासन को लेकर ही विवाद गहराया था। दरअसल, टाटा ट्रस्ट्स के कुछ ट्रस्टियों ने पूर्व भारतीय रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड से एक नॉमिनी डायरेक्टर के तौर पर हटा दिया था और वेणु श्रीनिवासन को भी हटाने की कोशिश की थी। ये दोनों व्यक्ति नोएल टाटा के करीबी माने जाते हैं। इसके बाद टाटा समूह में नोएल टाटा और एन चंद्रशेखरन के बीच मतभेद बढ़ गए थे।
वेणु श्रीनिवासन की पुनर्नियुक्ति और संगठन के अंदर कथित आंतरिक विभाजन के बीच अब सभी की निगाहें मेहली मिस्त्री के कार्यकाल के रेनेवल से जुड़े फैसले पर टिकी हैं। श्रीनिवासन की इस सप्ताह पुनर्नियुक्ति, 23 अक्टूबर को समाप्त हो रहे उनके कार्यकाल से पहले, टाटा ट्रस्ट्स के अंदर चल रहे विवाद की खबरों के बीच हुई है। दरअसल, एक गुट नोएल टाटा के साथ जुड़ा हुआ बताया जा रहा है, जिन्होंने रतन टाटा की मृत्यु के बाद अध्यक्ष का पद संभाला था, और दूसरे गुट में वे लोग शामिल हैं जिन्हें एन चंद्रशेखरन गुट का माना जाता है।
सर्वसम्मति से हुई पुनर्नियुक्ति
इस मामले की सीधी जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि टीवीएस समूह के मानद चेयरमैन श्रीनिवासन की पुनर्नियुक्ति सर्वसम्मति से हुई है। हालांकि, टाटा ट्रस्ट्स ने इस खबर पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। अब सारा ध्यान मेहली मिस्त्री के कार्यकाल के रेनेवल पर है, जो 28 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है।
क्या मेहली मिस्त्री को मिलेगा फिर से मौका?
मेहली मिस्त्री की पुनर्नियुक्ति पर लोगों की राय विभाजित है कि क्या उनका कार्यकाल स्वतः जारी रहेगा या आजीवन कार्यकाल के लिए ट्रस्टियों की सर्वसम्मति से स्वीकृति की आवश्यकता होगी। टाटा ट्रस्ट्स, जो सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट समेत कई धर्मार्थ ट्रस्टों की देखरेख करने वाली संस्था है, उसके पास टाटा संस में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जो 156 वर्ष पुराने टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी है। इसमें 30 लिस्टेड कंपनियों समेत लगभग 400 कंपनियां शामिल हैं।
एक सूत्र ने कहा, "पूर्व की प्रैक्टिसेज के अनुसार रेनेवल और नई नियुक्ति सर्वसम्मति से होनी आवश्यक है। नवीनीकरण, जो आजीवन होगा, के लिए सर्वसम्मति से मंजूरी की आवश्यकता होती है।" हालांकि, एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "पुनर्नियुक्ति स्वचालित है और यह सभी ट्रस्टियों पर लागू होती है।"
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सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टियों की 17 अक्टूबर, 2024 को हुई ज्वाइंट मीटिंग की डिटेल्स का हवाला देते हुए, एक व्यक्ति ने कहा कि इस बैठक में यह संकल्प लिया गया था कि किसी भी ट्रस्टी के कार्यकाल की समाप्ति पर, संबंधित ट्रस्ट द्वारा उस ट्रस्टी को कार्यकाल की अवधि पर कोई सीमा लगाए बिना पुनः नियुक्त किया जाएगा।
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