Taj Hotel Success Story: 10 रुपये किराया और 17 मेहमान.. ऐसे शुरू हुआ दुनिया का जाना-माना ‘ताज’, देखें सफलता की पूरी कहानी
Taj Hotel Success Story ताज होटल का इतिहास इसकी इमारत से भी पुराना है। मुंबई के समुद्र के किनारे बसे इस होटल में एक चाय की कीमत 500 से 2000 रुपये के आसपास है। कभी इसके एक रूम की कीमत 10 रुपये थी। ताज होटल के जरिए जमशेदजी ने अपने अपमान का बदला लिया था। आइए जानते हैं कि कैसे हुई जान-माने ताज होटल की शुरुआत ?

नई दिल्ली। कल से ही ताज होटल (Taj Hotel News) सुर्खियां बटोरता नजर आ रहा है। कई मीडिया में रिपोर्ट के हवाले से ये अटकलें लगाई जा रही थी कि टाटा अमेरिका में न्यूयॉर्क के लग्जरी 'द पियरे होटल' को बेच सकती है। हालांकि कंपनी ने बाद में ये स्पष्ट किया IHCL के पास द पियरे होटल का स्वामित्व नहीं है।
इस बीच ताज होटल खूब चर्चा में भी चला। मुंबई के समुद्र के किनारे बसे ताज होटल में कई किस्से छिपे हुए हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जमशेदजी टाटा ने अंग्रेजों से अपने अपमान के बदला लेने के ताज होटल की शुरुआत (Success Story of Taj Hotel) की थी। आइए इसकी पूरी कहानी जानते हैं।
कैसे हुई जाने-माने ‘Taj Hotel’ की शुरुआत?
अंग्रेजों से कैसे लिया बदला
जमशेदजी अपने दोस्त के साथ एक दिन होटल में ठहरने गए थे। लेकिन उन्हें ये कहकर एंट्री देने से माना कर दिया कि यहां सिर्फ गोरे लोगों को ही आने की अनुमति है। इसे देख जमशेदजी टाटा ने ये ठान लिया कि वे ऐसे होटल की शुरुआत करेंगे, जहां भारतीय और अंग्रेज दोनों की आराम से ठहर सकेंगे। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।
उन्होंने होटल बनाने के लिए मुंबई को चुना, क्योंकि ये शहर जमशेदजी के सबसे करीब था।
कैसे पड़ा ‘ताज’ नाम?
साल 1898 में मुंबई के समुद्र किनारे होटल बनाने की शुरुआत हुई। इसका निर्माण कार्य चार सालों तक चलता रहा। निर्माण के बाद अब फैसला लेना था कि इसका क्या नाम रखा जाए। उन्होंने ताजमहल के नाम पर इसका नाम ताज पैलेस (The Taj Palace) रखा।
16 दिसंबर,1902 में इसे मेहमानों के लिए शुरू किया गया। पहली बार होटल में 17 मेहमानों ने कदम रखा। उस समय इसके एक रूम की कीमत 10 रुपये हुआ करती थी। वहीं अगर रूम में पंखा और बाथरूम है, तो इसकी कीमत 13 रुपये थी।
ये देश का उस समय पहला होटल था, जहां बिजली थी, लाइट लगी हुई थी। देश का पहला होटल जिसे बार और दिन भर चलने वाले रेस्टोरेंट की अनुमति मिली। जमशेदजी टाटा ने होटल में काम करने के लिए अंग्रेजों को हायर किया था।
क्या-क्या जुड़ा है इतिहास?
इस होटल ने अंग्रेजों के 120 साल की हकुमत देखी है। विश्व युद्ध के समय इस होटल को अस्पताल में बदल दिया गया था। ताज होटल ने स्वतंत्र भारत का पहला सूरज भी देखा है। मुंबई के समुद्र के किनारे बसे इस होटल में देश का इतिहास छिपा है।
इसकी चमक देख, दुश्मन भी जल उठते हैं। यहीं कारण है कि इसे आतंकवादियों का वार भी सहना पड़ा। ताज होटल सिर्फ महज इमारतों से बनी बिल्डिंग नहीं है, बल्कि उच्च समाज का एक सोशल सिंबल बन गया है।
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