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    दुनियाभर में सिमट रहा NBFC सेक्टर का कारोबार, भारत में दर्ज की दमदार ग्रोथ

    Updated: Mon, 17 Jun 2024 03:40 PM (IST)

    वैश्विक स्तर पर नॉन-बैंक फाइनेंशियल इंटरमीडियरीज (एनबीएफआई) क्षेत्र का आकार 3 फीसदी घटा है। यह 2022 के बाद सेक्टर के साइज में पहली उल्लेखनीय कमी है। वहीं भारत में उधार देने वाली संस्थाओं ने लगभग 10 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की है। इसका श्रेय रिजर्व बैंक (RBI) के सशक्त उपायों को दिया जाता है जिसके नियमों ने NBFC पर लोगों का भरोसा बनाए रखा।

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    भारत को गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में अमेरिका और ब्रिटेन के बाद तीसरे नंबर पर है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत में नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल सेक्टर काफी तेजी से बढ़ रहा है। भारत में यह ऐसे समय में बढ़ रहा है, जब बाकी दुनिया में यह ढलान पर है। भारत के नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल सेक्टर ने 10 फीसदी की ग्रोथ की है। वहीं, इस दौरान वैश्विक स्तर पर ग्रोथ में 3 फीसदी की गिरावट आई है। यह जानकारी एसबीआई ने अपनी एक रिपोर्ट में दी है।

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    क्या करते हैं नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन?

    गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के पास अमूमन पूर्ण बैंकिंग लाइसेंस नहीं होता। इसका मतलब कि वे आम जनता का पैसा जमा नहीं कर सकते। इस तरह के संस्थान आमतौर पर कर्ज देने का ही काम करते हैं। जैसे कि किसी को फोन, बाइक या कार लेनी है या फिर घर बनवाना है, तो वे नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज (NBFC) से कर्ज ले सकते हैं। NBFC कई बार बड़े प्रोजेक्ट को भी फाइनेंस करती हैं।

    क्या कहती है एसबीआई की रिपोर्ट?

    एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया, 'वैश्विक स्तर पर नॉन-बैंक फाइनेंशियल इंटरमीडियरीज (एनबीएफआई) क्षेत्र का आकार 3 फीसदी घटा है। यह 2022 के बाद सेक्टर के साइज में पहली उल्लेखनीय कमी है। वहीं, भारत में उधार देने वाली संस्थाओं ने लगभग 10 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की है।'

    रिपोर्ट में भारत को गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में अमेरिका और ब्रिटेन के बाद तीसरी सबसे बड़ी इकाई के रूप में दर्शाया गया है। पिछले एक दशक में वैश्विक स्तर पर आर्थिक मोर्चे पर कई बड़ी चुनौतियां आईं। लेकिन, भारत के बैकिंग सिस्टम ने उनसे पार पाते हुए अच्छा प्रदर्शन किया है।

    एसबीआई के मुताबिक, परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार और मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक फंडामेंटल्स ने भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई है। कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने पर्याप्त कैपिटल और लिक्विडिटी के माध्यम से वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता बनाए रखी। इसका श्रेय रिजर्व बैंक (RBI) के सशक्त उपायों को दिया जाता है।

    (एएनआई से इनपुट के साथ)

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