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    भारतीय बैंकों का रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन; 10 साल में चार गुना बढ़ा मुनाफा, NPA में भी आई कमी

    Updated: Mon, 17 Jun 2024 01:28 PM (IST)

    भारतीय बैंकों की बैलेंस शीट पिछले करीब 10 साल में सबसे मजबूत है। उनके मुनाफे में भी तेज उछाल आया है। नेट नॉन-परफॉर्मिंग लोन (नेट NPL) पहले भारतीय बैंकिंग सेक्टर के लिए अभिशाप था। लेकिन अब बेहतर एसेट क्वॉलिटी मजबूत प्रोविजिनिंग बफर और बेहतर पूंजी स्थिति के कारण यह एक दशक के निचले स्तर पर आ गया है। डिपॉजिट ग्रोथ हालांकि लोन ग्रोथ के मुकाबले कम हुई है।

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    भारतीय बैंकों की बैलेंस शीट पिछले करीब 10 साल में सबसे मजबूत है

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय बैंकों के लिए पिछला एक दशक काफी शानदार रहा। इस दौरान उनका मुनाफा चार गुना बढ़ा। साथ ही, बैड लोन में बड़ी गिरावट आई है, जो उनकी हमेशा से बड़ी सिरदर्दी रही थी। यह जानकारी कैपिटल मार्केट और इन्वेस्टमेंट ग्रुप CLSA ने अपनी एक रिपोर्ट में दी है।

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    मजबूत हुई बैलेंस शीट

    CLSA की रिपोर्ट के मतुताबिक, "भारतीय बैंकों की बैलेंस शीट पिछले करीब 10 साल में सबसे मजबूत है। उनके मुनाफे में भी तेज उछाल आया है। नेट नॉन-परफॉर्मिंग लोन (नेट NPL) पहले भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिए अभिशाप था। लेकिन, अब बेहतर एसेट क्वॉलिटी, मजबूत प्रोविजिनिंग बफर और बेहतर पूंजी स्थिति के कारण यह एक दशक के निचले स्तर पर आ गया है।"

    रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कि पिछले दशक में निजी क्षेत्र के बैंकों ने चालू खाता (सीए) जमा में पीएसयू बैंकों को पीछे छोड़ दिया है। साथ ही, गैर-जमा उधारी में भी कमी की है। पिछले दो वर्षों में इस क्षेत्र में लोन ग्रोथ दशकीय औसत 10 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो गई है। पिछले 5-7 वर्षों में कॉर्पोरेट लोन की क्वॉलिटी में भी सुधार हुआ है।

    क्रेडिट ग्रोथ चिंता की बात

    रिपोर्ट में बैंकों को एक क्षेत्र पर ध्यान देने की जरूरत भी बताई गई है। इसमें कहा गया है कि क्रेडिट ग्रोथ फिलहाल डिपॉजिट ग्रोथ से अधिक हो गई है। यह पिछले दो वर्षों में औसतन 10 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इसका मतलब है कि लोग बैंक में पैसे कम जमा कर रहे हैं, कर्ज अधिक से ले रहे हैं।

    कुछ दिनों पहले अमेरिका की प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसी S&P Global Ratings ने  भी कहा था कि बैकों को मजबूरन अपनी लोन ग्रोथ कम करनी पड़ सकती है, क्योंकि बैंक डिपॉजिट उस रफ्तार से नहीं बढ़ रहा। मतलब कि लोग बैकों में ज्यादा पैसे नहीं जमा कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास अच्छे रिटर्न के साथ निवेश के कई विकल्प हो गए हैं।

    (आईएएनएस से इनपुट के साथ)

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