बिना राज्यों के सहयोग के रेल की सुरक्षा मुश्किल
रेलवे का देश में जितना बड़ा और व्यापक नेटवर्क है, उसे देखते हुए इससे जुड़ी संपत्तियों की सुरक्षा अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। बिना राज्यों के सहयोग ...और पढ़ें

नई दिल्ली। रेलवे का देश में जितना बड़ा और व्यापक नेटवर्क है, उसे देखते हुए इससे जुड़ी संपत्तियों की सुरक्षा अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। बिना राज्यों के सहयोग के पूरी सुरक्षा मुश्किल है, ये जानकारी केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को राजधानी में मानेक शॉ ऑडिटोरियम में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ सिक्यूरिटी एंड सेफ्टी मैनेजमेंट (IISSM) के 25 वें वार्षिक सम्मेलन में दी।
आरपीएफ कर्मियों की कमी की बात को स्वीकार करते हुए रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे में आरपीएफ कर्मियों की खासी कमी है मांग के अनुपात में। रेल गाडियों तथा दूसरी रेल संपत्तियों पर पूर्व में हुए टेरर हमलों का जिक्र किए बगैर उन्होंने माना कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि टेरर हमलों के चलते रेलवे संपत्तियों और मुसाफिरों को तगड़ा नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि इन बातों को देकहते हुए रेलवे अपनी संपत्तियों और मुसाफिरों की सुरक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील है। रेलवे इस बाबत किसी भी हालत में समझौता नहीं कर सकता।
बता दें कि देश-विदेश के दर्जनों सिक्युरिटी मामलों के विशेषज्ञों ने दो दिनों तक सुरक्षा के विभिन्न आयामों को लेकर पैदा होने वाले संभावित खतरों पर गहन विचार किया। इस अवसर पर तमाम विशेषज्ञों ने अपने पेपर भी सम्मेलन को पहले दिन कल ( गुरुवार) को केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय श्रम और रोजगार (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने संबोधित किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार कई स्तरों पर काम कर रहे सभी निजी सुरक्षा एजेंसियों को राष्ट्रीय लाइसेंस देने के लिए तैयार है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गृह मंत्रालय देश के सभी भागों में कंपनी के कार्यालयों की देखभाल के लिए निजी सुरक्षा गार्डों को आधुनिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उत्सुक है। वर्तमान में लगभग 50 लाख निजी सुरक्षा गार्ड देश भर में कंपनियों के कार्यालयों में सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार निजी सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर काम के लिए गंभीर है। इन दिनों निजी सुरक्षा गार्ड राष्ट्रीय स्मारकों, कॉर्पोरेट कार्यालयों और मोबाइल टावरों की देखभाल कर रहे हैं।
उधर, केंद्रीय श्रम और रोजगार (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि सेवा के क्षेत्र में काम करने वाले को उचित मजदूरी दी जानी चाहिए। उनके लिए न्यूनतम मजदूरी की बात करना बहुत बेमानी होगा है। इसलिए उन्हें न्यूनतम नहीं बल्कि उचित मजदूरी दी जानी चाहिए। हमारी सरकार उचित मजदूरी दिए जाने के पक्ष में है। निजी सुरक्षा एजेंसी सबसे तेजी से बढ़ता हुआ सेवा क्षेत्र है। आंकड़ों के मुताबिक इन दिनों सेवा के क्षेत्र में 60 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसमें समाज के ज्यादातर गरीब और वंचित क्षेत्र के लोग काम करते हैं। इस क्षेत्र हर साल 20 फीसद की वृद्धि हो रही है और अगले कुछ वर्षों में यह एक करोड़ होने की संभावना की है।

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