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    कर्नाटक वाले गटक गए 40 करोड़ पेटी से ज्यादा व्हिस्की, विदेशी शराब की बिक्री में दक्षिण भारत सबसे आगे

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 05:17 PM (IST)

    भारत में विदेशी शराब (आईएमएफएल) की बिक्री में दक्षिणी राज्यों का दबदबा है जहां 2024-25 में 58% हिस्सेदारी रही। कर्नाटक और तमिलनाडु टॉप पर हैं। पूरे देश में आईएमएफएल व्हिस्की की बिक्री में 1.4% की गिरावट आई है। चुनाव और राज्यों की शराब नीति के कारण बिक्री धीमी रही। उत्तर प्रदेश आईएमएफएल की बिक्री में छठे स्थान पर है।

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    भारत में बनी विदेशी शराब (आईएमएफएल) की बिक्री में दक्षिणी राज्यों का दबदबा है।

    नई दिल्ली। भारत में बनी विदेशी शराब (आईएमएफएल) की बिक्री में दक्षिणी राज्यों का दबदबा है। उद्योग निकाय सीआईएबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024-25 में देश कुल आईएमएफएल बिक्री में दक्षिण भारत की 58 प्रतिशत हिस्सेदारी रही।

    सीआईएबीसी के अनुसार, दक्षिण भारत का आईएमएफएल बाजार पर लगभग पूरी तरह से कब्जा है, जबकि देश के बाकी हिस्से की हिस्सेदारी केवल 42 प्रतिशत है। हालांकि, पूरे देश में आईएमएफएल व्हिस्की की बिक्री में 1.4 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो अब 40.17 करोड़ पेटी पर आ गई है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 39.62 करोड़ पेटी थी।

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    क्षेत्र हिस्सेदारी (%) कुल बिक्री (करोड़ पेटियां, अनुमानित जहां लागू) वृद्धि (%)
    दक्षिण भारत 58 22.72 1
    उत्तरी क्षेत्र 20 7.83 1
    पश्चिमी क्षेत्र 12 4.7 -
    पूर्वी क्षेत्र 10 3.92 -

    नोट: कुल आईएमएफएल बिक्री अनुमानित रूप से 39.17 करोड़ पेटियां है (पश्चिमी क्षेत्र के आंकड़ों के आधार पर गणना)। व्हिस्की बिक्री में रिपोर्टेड 1.4% गिरावट (39.62 से 40.17 करोड़ पेटियां) संभावित हो सकता है, क्योंकि यह वृद्धि दर्शाता है।

    सीआईएबीसी के महानिदेशक अनंत एस अय्यर ने 'पीटीआई भाषा' कहा, ''वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही चुनाव और कुछ राज्यों की शराब नीति के कारण कमजोर रही, जिससे बिक्री धीमी रही।''

    उन्होंने कहा कि वे राज्य सरकारों से लगातार संपर्क में हैं और आबकारी नीति से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा कर रहे हैं, क्योंकि हर साल राज्य स्तर पर कर और नीतियों में बदलाव होते हैं, जो बिक्री को प्रभावित करते हैं।

    आईएमएफएल में व्हिस्की, वोडका, रम, जिन और ब्रांडी शामिल हैं, जिन्हें देशी शराब और पारंपरिक पेयों से अलग माना जाता है।

    रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक ने 6.88 करोड़ पेटियों की बिक्री के साथ फिर से शीर्ष स्थान बनाए रखा, जबकि तमिलनाडु ने 6.47 करोड़ केस के साथ दूसरा स्थान हासिल किया। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ने लगभग नौ-नौ प्रतिशत की हिस्सेदारी दी, जबकि केरल सातवें स्थान पर रहा।

    प्रमुख राज्यों की रैंकिंग और बिक्री (2024-25)

    रैंक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश बिक्री (करोड़ पेटियां) हिस्सेदारी (%) क्षेत्र

    वृद्धि (%) जहां उल्लेखित

    1 कर्नाटक 6.88 - दक्षिण -
    2 तमिलनाडु 6.47 - दक्षिण -
    3 तेलंगाना ~3.52 (अनुमानित) ~9 दक्षिण -
    4 आंध्र प्रदेश ~3.52 (अनुमानित) ~9 दक्षिण -
    5 महाराष्ट्र 2.71 - पश्चिम -
    6 उत्तर प्रदेश 2.5 - उत्तर 6
    7 केरल - - दक्षिण -
    8 पश्चिम बंगाल 1.49 - पूर्व -
    9 राजस्थान 1.37 - उत्तर -
    10 दिल्ली 1.18 - उत्तर -
    11 हरियाणा 1.17 - उत्तर -
    19 पुडुचेरी 0.28 - दक्षिण 10

    नोट: रैंकिंग रिपोर्ट के आधार पर है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की बिक्री अनुमानित है (कुल का 9% प्रत्येक)। अन्य राज्यों की बिक्री/हिस्सेदारी जहां नहीं दी गई, वहां खाली छोड़ा गया है।

    रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण भारत में कुल मिलाकर बिक्री में लगभग एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दिलचस्प बात यह है कि पुडुचेरी ने वित्त वर्ष 2024-25 में 0.28 करोड़ पेटियों के साथ 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो 19वें स्थान पर रहा।

    दक्षिणी भाग के बाद उत्तरी क्षेत्र का स्थान रहा, जिसने आईएमएफएल की बिक्री में 20 प्रतिशत का योगदान दिया, जहां उत्तर प्रदेश 2.50 करोड़ पेटियों के साथ शीर्ष पर रहा। रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर, उत्तर प्रदेश छह प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ छठे स्थान पर रहा।

    इसके बाद राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा का स्थान रहा, जो क्रमशः 1.37 करोड़ पेटियों, 1.18 करोड़ पेटियों और 1.17 करोड़ पेटियों के साथ आईएमएफएल की बिक्री में नौवें, 10वें और 11वें स्थान पर रहे। कुल मिलाकर, उत्तरी क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2024-25 में आईएमएफएल की बिक्री में केवल एक प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।

    रिपोर्ट में बताया गया कि पश्चिमी क्षेत्र ने 4.70 करोड़ पेटियों के साथ आईएमएफएल की बिक्री में 12 प्रतिशत का योगदान दिया, जहां महाराष्ट्र 2.71 करोड़ पेटियों की खपत के साथ सूची में सबसे ऊपर रहा। पूर्वी क्षेत्र में आईएमएफएल की बिक्री का केवल 10 प्रतिशत हिस्सा था, जहां पश्चिम बंगाल 1.49 करोड़ पेटियों के साथ शीर्ष पर रहा।