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    Solar Panel Manufacturing: सोलर पैनल निर्माण में कूदी दिग्गज कंपनियां, रिलायंस, अदाणी और टाटा के बीच मैन्यूफैक्चरिंग को लेकर होगा कड़ा मुकाबला

    By Shashank Shekhar MishraEdited By:
    Updated: Wed, 06 Jul 2022 07:16 AM (IST)

    इंडियन सोलर मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि भारत में अभी सिर्फ 4000 मेगावाट सोलर पैन्लस और 13 हजार मॉड्यूल्स निर्माण की क्षमता है। निर्माण क्षमता का विस्तार नहीं किया गया तो सौर ऊर्जा के उपकरणों के लिए चीन पर निर्भर रहना होगा।

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    केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक देश में रिनीवेबल इनर्जी से पांच लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा है।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार ने जिस तेजी से रिनीवेबल इनर्जी औरु खास तौर पर सौर ऊर्जा के विस्तार की महत्वाकांक्षी योजना का खाका तैयार किया है उससे इससे जुड़े उपकरणों के निर्माण में एक के बाद एक देश के दिग्गज कारपोरेट हाउस उतरने लगे हैं। सौर ऊर्जा में इस्तेमाल होने वाले सोलर पैनल्स और मॉड्यूल्स निर्माण में देश की तीन बड़े औद्योगिक घराने टाटा समूह, रिलायंस इंडस्ट्रीज और अदाणी समूह के बीच मुकाबला होता दिख रहा है। टाटा समूह ने सोमवार को 4000 मेगावाट क्षमता के सोलर सेल्स व मॉड्यूल्स के निर्माण में तीन हजार करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज की आगामी वार्षिक आम सभा में बड़े ऐलान करने की तैयारी है। जबकि मंगलवार को अदाणी समूह की तरफ से बताया गया है कि सोलर पैनल बनाने की मौजूदा क्षमता को जुलाई-सितंबर, 2022-23 की तिमाही में 1500 मेगावाट से बढ़ा कर 3500 मेगावाट कर दिया जाएगा।

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    केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक देश में रिनीवेबल इनर्जी से पांच लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा है। इसकी घोषणा पीएम नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष ग्लास्गो में आयोजित कॉप-26 सम्मेलन में किया था। इसमें से 2.80 लाख मेगावाट बिजली सौर ऊर्जा से बनाई जाएगी। इस जरूरत को देख कर ही पिछले दिनों केंद्र सरकार की तरफ से सौर ऊर्जा में इस्तेमाल होने वाले सारे उपकरणों को देश के भीतर ही बनाने के लिए पीएलआइ स्कीम की शुरुआत की गई है। आम बजट में इसके लिए 19,500 करोड़ रुपये आवंटित भी किया गया है।

    इंडियन सोलर मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन (एसएमए) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि भारत में अभी सिर्फ 4000 मेगावाट सोलर पैन्लस और 13 हजार मॉड्यूल्स निर्माण की क्षमता है। अगर जरूरत के हिसाब से तेजी से घरेलू निर्माण क्षमता का विस्तार नहीं किया गया तो सौर ऊर्जा के उपकरणों के लिए चीन पर ही निर्भर रहना होगा। काउंसिल फॉर इनर्जी, इंवायरमेंट व वाटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक उक्त उपकरणों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा दे कर भारत में वर्ष 2030 तक 30 अरब डॉलर का एक नया कारोबार स्थापित किया जा सकता है। उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2024 से सौर ऊर्जा के लिए जरूरी उपकरणों का पर्याप्त उत्पादन होने की संभावना है।

    केंद्र की पीएलआइ स्कीम के तहत टाटा, अदाणी और रिलायंस तीनों ही सोलर इनर्जी से जुड़े उपकरणों के निर्माण में उतर रही हैं। इन तीनों कंपनियों के अलावा 16 और कंपनियों ने पीएलआइ के तहत उपकरण बनाने की तैयारी दिखाई है। इनकी तरफ से अलग अलग जो योजनाएं सरकार को बताई हैं उससे इनके पास संयुक्त तौर पर 40 हजार मेगावाट क्षमता के लिए जरूरी उपकरणों का निर्माण किया जा सकता है। इनमें सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता अदाणी और रिलायंस की होने की संभावना है।

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