Smart Cities के सामने वित्तीय संकट का खतरा, मेंटेनेंस के लिए नहीं मिल रहा फंड; अब आगे क्या?
देश के 100 स्मार्ट सिटी के इंटीग्रेटेड कमांड और कंट्रोल सेंटर्स (ICCCs) वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। उन्हें राज्य और नगर पालिकाएं सेंटर से जरूरी फंड नहीं मिल पार रहा है। यह शहर के इन्फ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट नागरिक सेवाओं की निगरानी यातायात प्रबंधन सेफ्टी और मॉनिटरिंग जैसे काम देखती है। आईआईटी-खड़गपुर की अपनी एक स्टडी में इस समस्या के बारे में बात करते हुए कुछ सुझाव भी दिए हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत के स्मार्ट सिटी मिशन के सामने बड़ी चुनौती आ रही है। देश के 100 स्मार्ट सिटी के इंटीग्रेटेड कमांड और कंट्रोल सेंटर्स (ICCCs) वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। उन्हें राज्य और नगर पालिकाएं सेंटर से जरूरी फंड नहीं मिल पार रहा है।
ICCC स्मार्ट सिटी की अलग-अलग सर्विस और सिस्टम के लिए इंटीग्रेटेड कमांड और कंट्रोल सेंटर है। इसका मतलब है कि यह शहर के इन्फ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट, नागरिक सेवाओं की निगरानी, यातायात और परिवहन प्रबंधन, सेफ्टी और मॉनिटरिंग जैसे काम देखती है। आईआईटी-खड़गपुर की एक स्टडी ने इस समस्या के बारे में बात की है। उसने कुछ सुझाव भी दिए हैं।
ICCC के सामने समस्या क्या है?
आईआईटी-खड़गपुर की स्टडी का निष्कर्ष है कि ICCC पर स्मार्ट सिटी मिशन को सफल बनाने की बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन, उसके पास वित्तीय स्थिरता नहीं है। उसे जरूरी फंड के लिए राज्यों और नगर पालिकाओं पर निर्भर रहना पड़ता है।
इस स्टडी में रेवेन्यू शेयर करने के लिए एक इकोसिस्टम बनाने की सिफारिश की गई है, जो ICCC के ट्रैफिक मैनजमेंट से कामों से जेनरेट होता है। फिलहाल, यह सारा रेवेन्यू राज्य सरकार के खजाने में जाता है। ICCC को इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने, मेंटेनेंस, ऑपरेशन और समय-समय पर अपग्रेड करना होता है, जिसके लिए उसके पास फंड की कमी रहती है।
आईआईटी खड़गपुर की स्टडी में ऑप्टिकल फाइबर केबल जैसे ICCC बुनियादी ढांचे का मोनेटाइजेशन होना चाहिए। उसने ICCC के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन को अनिवार्य बनाने की सिफारिश की है। उसका कहना है कि इन सुविधाओं के सामने आने वाले नकदी संकट को दूर करने के लिए ऐप को मोनेटाइज भी किया जाना चाहिए।
आईआईटी खड़गपुर की रिपोर्ट क्या रास्ता सुझाती है?
रिपोर्ट के मुताबिक, वेब-आधारित सेवाओं के अलावा सभी ICCC के लिए मोबाइल एप्लिकेशन और कॉल सेंटर अनिवार्य किए जाने चाहिए। यह नागरिकों के लिए शहरी स्थानीय निकायों (ULB) और ICCC के जरिए स्मार्ट सिटी मिशन के साथ विभिन्न शहरी सेवाओं का लाभ उठाने या उससे संबंधित शिकायत दर्ज करने के लिए सीधा संपर्क प्वाइंट बन जाता है।
ICCC के मैनेजमेंट में प्राइवेट कंपनियों पर अधिक निर्भरता भी रहती है। इसे देखते स्टडी ने सिफारिश की है कि कर्मचारियों की इंटरनल कैपेसिटी बिल्डिंग और ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (OEM) पर निर्भरता घटाने पर फोकस करने की जरूरत है।
आईआईटी खड़गपुर की स्टडी भुवनेश्वर, विशाखापत्तनम और अगरतला में आपदा प्रबंधन में ICCC की भूमिका की काफी तारीफ करती है। खासकर, कोविड-19 महामारी के दौरान बीमारी की रोकथाम और प्रबंधन में इन केंद्रों और स्मार्ट सिटी बुनियादी ढांचे की भूमिका का जिक्र किया गया है।
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