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    Share Market Crash: शेयर बाजार हुआ क्रैश, क्या ये पांच कारण हैं जिम्मेदार?

    Updated: Thu, 28 Nov 2024 01:20 PM (IST)

    Share Market Crash सेंसेक्स और निफ्टी आज एक फीसदी से अधिक गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं। आईटी शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिल रही है। सेंसेक्स की टॉप 30 कंपनियों में से सिर्फ दो हरे निशान में हैं। ज्यादातर एशियाई बाजारों में भी बड़ी गिरावट हुई है। आइए जानते हैं कि भारतीय बाजार किन पांच वजहों के चलते धड़ाम हुआ है।

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    अमेरिका के तीनों प्रमुख सूचकांक बुधवार को गिरावट के साथ बंद हुए थे।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में आज यानी गुरुवार (28 नवंबर 2024) को भारी गिरावट आई। दोनों प्रमुख सूचकांक यानी सेंसेक्स और निफ्टी करीब 1 फीसदी गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं। इस गिरावट के साथ सेंसेक्स 80 हजार के मनोवैज्ञानिक स्तर से एक बार फिर नीचे आ गया है। आइए जानते हैं कि सेसेंक्स और निफ्टी में भारी गिरावट की क्या वजह है।

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    अमेरिकी डेटा ने बढ़ाई चिंता

    यूएस पीसीई मुद्रास्फीति सूचकांक अक्टूबर में बढ़कर 2.8 प्रतिशत हो गया। डेटा के एक अन्य सेट ने दिखाया कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था तीसरी तिमाही में अच्छी रफ्तार से बढ़ी, जिसकी वजह उपभोक्ता खर्च में अच्छी ग्रोथ थी। इस डेटा ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि इससे भविष्य में फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती को लेकर चिंता बढ़ गई है। इससे खासकर आईटी शेयरों में जोरदार बिकवाली देखने को मिली।

    वैश्विक बाजारों में गिरावट

    अमेरिका के तीनों प्रमुख सूचकांक बुधवार को गिरावट के साथ बंद हुए थे। इसका असर आज एशियाई बाजारों पर भी दिखा। ताइवान, हांगकांग, चीन और कोरिया के बाजारों में आज 1.5 प्रतिशत तक की गिरावट आई। इसकी चपेट में भारतीय बाजार भी आ गया। हालांकि, जापान का शेयर बाजार अच्छी बढ़त के साथ कारोबार कर रहे हैं। लेकिन, भारतीय बाजार अमेरिका से ज्यादा प्रभावित दिखा।

    डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां

    डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि वह राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के पहले दिन ही चीन, मैक्सिको और कनाडा से सभी आयात पर टैरिफ लगाएंगे। इसमें मैक्सिको और कनाडा से आने वाले सभी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ और चीन पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ शामिल है। इससे भारत को फायदा होने की उम्मीद है। लेकिन, डॉलर का दाम बढ़ने से भारतीय निवेशकों की चिंता बढ़ रही है। ज्यादा टैरिफ से अमेरिका में महंगाई भी बढ़ेगी और ब्याज दरों में कटौती की संभावना धूमिल होगी।

    एफपीआई का रुख

    फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स काफी समय से बिकवाली कर रहे थे। उन्होंने अब हल्की-फुल्की खरीदारी शुरू की है। लेकिन, डॉलर का मजबूत होना उभरते हुए बाजारों के लिए घाटे की बात है। डॉलर की मजबूती और रुपये की कमजोरी के चलते एफपीआई भारतीय बाजार में आक्रामक तरीके से खरीदारी करने से बच रहे हैं। वे ट्रंप की नीतियों और उसे वैश्विक प्रभाव के अधिक स्पष्ट होने का इंतजार भी कर रहे हैं।

    कच्चे तेल की कीमतें

    कच्चे तेल की कीमतों में भी लगातार उतार-चढ़ाव जारी है। इससे भी शेयर मार्केट पर बुरा असर पड़ रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में अधिक उछाल आने की आशंका है। यह चीज निवेशकों को परेशान कर रही है। साथ ही, मध्य-पूर्व और रूस-यूक्रेन का तनाव भी बाजार के लिए नकारात्मक पहलू बन रहा है।

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