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    शक्तिकांत दास का कार्यकाल खत्म, बोले- जीडीपी ग्रोथ सुस्त होने की वजह रेपो रेट में कटौती नहीं

    आरबीआई के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस बात से साफ इनकार किया कि उनके कार्यकाल के अंतिम दो वर्षों में रेपो रेट में कटौती नहीं किये जाने की वजह से देश की आर्थिक विकास दर में हाल ही में सुस्ती देखने को मिली है। डॉ. दास ने लंबे समय तक गवर्नर पद पर सेवा का अवसर देने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार जताया।

    By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 10 Dec 2024 07:42 PM (IST)
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    आरबीआई के 25वें गवर्नर थे शक्तिकांत दास।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक गवर्नर पद पर छह वर्षों तक अपनी सेवा देने वाले डॉ. शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों को लेकर केंद्र सरकार व केंद्रीय बैंक के बीच किसी तरह की संवादहीनता या तनाव की संभावनाओं से साफ तौर पर इनकार किया है। डॉ. दास का कार्यकाल मंगलवार को समाप्त हुआ और इस दिन उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी सेवा के दौरान की चुनौतियों व अवसरों और बुधवार (11 दिसंबर, 2024) से गवर्नर पर पर आसीन होने वाले संजय मल्होत्रा की चुनौतियों के बारे में विस्तार से बात की।

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    उन्होंने इस बात से साफ इनकार किया कि उनके कार्यकाल के अंतिम दो वर्षों में रेपो रेट में कटौती नहीं किये जाने की वजह से देश की आर्थिक विकास दर में हाल ही में सुस्ती देखने को मिली है। सोशल मीडिया एक्स पर भावनात्मक तौर पर लिखे गये पोस्ट में डॉ. दास ने लंबे समय तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर पर सेवा का अवसर देने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ ही आरबीआई के सभी सहयोगियों का आभार जताया।

    दास ने कहा “केंद्रीय बैंक और केंद्र सरकार कई मुद्दों पर अलग-अलग विचार रखते हैं और यह कोई नई बात नहीं है, दुनिया भर में ऐसा होता है। मैंने अपने कार्यकाल के दौरान इस तरह के कई मुद्दों का समाधान आंतरिक विमर्श से किया है।'' उन्होंने ब्याज दरों को लेकर केंद्र व आरबीआई के बीच समन्वय को बेहतरीन करार दिया। यहां बता दें कि दास से पहले के लगातार दो आरबीआइ गवर्नर डॉ. रघुराम राजन और डॉ. उर्जित पटेल के साथ केंद्र सरकार के संबंध बहुत अच्छे नहीं थे।

    उर्जित पटेल के साथ केंद्र सरकार का विवाद इतना बढ़ गया था कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। राजन को भी बीजेपी सरकार ने वर्ष 2016 में कार्य विस्तार नहीं दिया था। बाद में उन्होंने अपनी पुस्तक में सरकार के साथ अपने मतभेदों के बारे में विस्तार से लिखा था।

    पिछले हफ्ते जब आरबीआई ने लगातार 11वीं मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक में रेपो रेट में कटौती नहीं की तो यह कहा गया कि केंद्र सरकार की चाहत के बावजूद ऐसा नहीं किया गया है। दरअसल, हाल के हफ्तों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ब्याज दरों में कटौती की जरूरत बताई थी।

    सोशल मीडियाा साइट एक्स पर डॉ. दास ने मंगलवार को लिखा “आरबीआई गवर्नर के तौर पर देश की सेवा करने का अवसर देने के लिए और लगातार दिशानिर्देश व प्रोत्साहन देने के लिए मैं पीएम नरेन्द्र मोदी का आभारी हूं। वित्तमंत्री सीतारमण को भी उनके लगातार समर्थन के लिए तहेदिल से धन्यवाद। राजकोषीय व मौद्रिक नीति का समन्वयन बहुत ही बढि़या रहा है और इसकी वजह से पिछले छह वर्षों के दौरान कई बड़ी चुनौतियों का हमने सफलतापूर्वक सामना किया। पूरी आरबीआई टीम का धन्यवाद जिनकी वजह से हमने बेहद अप्रत्याशित वैश्विक चुनौतियों के काल में भी सफलतापूर्वक बाहर निकल आए।''

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