नए RBI गवर्नर कब देंगे ब्याज दरों में कटौती का तोहफा, इकोनॉमी पर क्या होगा असर; जानें पूरी डिटेल
पिछले हफ्ते RBI ने मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए बेंचमार्क ब्याज दरों को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा लेकिन सिस्टम में लिक्विडिटी डालने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में 50 आधार अंकों की कटौती की। अब संजय मल्होत्रा आरबीआई के नए गवर्नर नियुक्त हो गए हैं और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद भी बढ़ गई है। आइए जानते हैं कि इसका अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय उपभोक्ता लंबे समय से नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का इंतजार कर रहे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई केंद्रीय मंत्री भी केंद्रीय बैंक को ब्याज दरों में कटौती सलाह दे चुके हैं, ताकि सुस्त पड़ती इकोनॉमी में नई जान फूंकी जा सके। आरबीआई ने फरवरी 2023 यानी करीब दो साल से ब्याज दरों को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है।
सरकार ने संजय मल्होत्रा को नया आरबीआई गवर्नर नियुक्त किया है। इससे फरवरी 2025 की एमपीसी में रेपो रेट में कटौती की संभावना बढ़ गई है। संजय मल्होत्रा बतौर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह ले रहे हैं, जिनका अधिक फोकस महंगाई को काबू करने के साथ रुपये में गिरावट रोकने पर था।
फॉरेक्स ट्रेडर्स यानी विदेशी मुद्रा के व्यापारियों का भी मानना है कि नया आरबीआई गवर्नर बनने से ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है। यही वजह है कि आज यानी 10 दिसंबर (मंगलवार) को डॉलर के मुकाबले रुपया नए ऑल टाइम लो-लेवल पर पहुंच गया था। हालांकि, इसमें बाद में रिकवरी हुई। एक डॉलर की कीमत अब 84.85 रुपये है। यह सोमवार के बंद भाव के मुकाबले 1 पैसे की तेजी दर्शाता है।
क्या कह रहे हैं विदेशी मुद्रा व्यापारी?
विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि शक्तिकांत दास के जाने से अनिश्चितता आई है, क्योंकि उनके कार्यकाल में ऐसी नीतियां अपनाई गई थीं, जिनसे रुपये में बड़ी गिरावट नहीं आई। सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पबारी ने कहा, "राजस्व संबंधी चिंताओं पर आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता देने वाले संजय मल्होत्रा के रुख ने मिली-जुली प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं।"
अर्थशास्त्रियों का रेट कट पर राय
अर्थशास्त्रियों का भी मानना है कि शक्तिकांत दास के जाने से आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति में नरम रुख आ सकता है। दास और डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा 6 मेंबर वाले पैनल में ब्याज दरों में कटौती के सबसे मुखर विरोधी थे। उनक फोकस महंगाई कम करने और रुपये को गिरने से बचाने पर था। लेकिन, दास का कार्यकाल खत्म हो चुका है और पात्रा का भी जनवरी के मध्य में खत्म होने वाला है। ऐसे में फरवरी की एमपीसी में रेट कट की गुंजाइश काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
S&P का रेट कट पर क्या है अनुमान?
दुनिया की प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का भी मानना है कि आरबीआई मौद्रिक नीति में 'मामूली ढील' दे सकता है। एसएंडपी के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था 2025 में "मजबूत वृद्धि" के लिए तैयार है और मुद्रास्फीति के दबाव में कमी आने का अनुमान है। इससे आरबीआई रेपो रेट में कटौती करेगा। S&P ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास पूर्वानुमान को 6.8 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। वहीं, वित्त वर्ष 2025-26 में 6.9 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान है।
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