SBI की बैंकों को चेतावनी, क्रेडिट और लिक्विडटी अनुपात पर ध्यान देना जरूरी
SBI Report देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई की ओर से एक रिपोर्ट निकाली गई है जिसमें रेपो रेट बढ़ने के कारण सिस्टम में कैश कम होने के बारे में बताया गया है। इसके साथ बैंकों को क्रेडिट और लिक्विडटी अनुपात ध्यान देने को लेकर चेतावनी दी है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आरबीआई के द्वारा रेपो रेट में वृद्धि के कारण कम होती लिक्विडटी के बीच एक रिपोर्ट में बैंकों को चेतावनी देते हुए कहा गया कि एस्सेट्स और लायबिलीटी दोनों पक्षों में निहित जोखिम का सही निर्धारण नहीं कर रहे हैं। ये ऐसे समय पर किया जा रहा है, क्रेडिट की मांग देश में एक दशक के उच्चतम स्तर 18 प्रतिशत पर पहुंच गई है और डिपाजिट ग्रोथ काफी पीछे चल रही है।
एसबीआई की रिपोर्ट में बताया गया कि देश में लिक्विडटी कम होने का प्रमुख कारण आरबीआई की ओर से ब्याज दर बढ़ाना है। पिछले छह महीनों में महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में 1.90 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
सिस्टम में कम हुआ कैश
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्याज दर बढ़ने से पहले बैंकिंग सिस्टम अप्रैल 2022 में एवरेज नेट ड्यूरेबल लिक्विडिटी 8.3 लाख करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 3 लाख करोड़ रुपये के करीब रह गया है। आगे कहा गया कि सरकार ने दिवाली के हफ्ते में कैश बैलेंस का एक बड़ा हिस्सा खर्च कर दिया है, जिसके परिणाम स्वरूप कुछ सुधार हुआ है। सरकारी और निजी सेक्टर की ओर से दिए गए बोनस से भी मदद मिली है।
रिपोर्ट में एसबीआई की चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष ने कहा कि बैंक भी ब्याज दरों को बढ़ाकर लिक्विडटी की समस्या को कम करने के लिए काम कर रहे हैं। क्रेडिट ग्रोथ अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
डिपाजिट रेट में कम हुआ इजाफा
बैंकों की ओर से अक्टूबर में काफी ब्याज दर को बढ़ाया गया है। बैंकों में 45 प्रतिशत CASA है, जबकि 55 प्रतिशत टर्म डिपाजिट है। रेपो रेट को 1.90 प्रतिशत बढ़ाया गया है, जबकि 1.05 प्रतिशत की तेजी डिपाजिट रेट्स में देखने को मिली है।
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