GST Rate Cut से भारत सरकार को 3700 करोड़ रुपये का घाटा, SBI रिपोर्ट में हुआ खुलासा
भारतीय स्टेट बैंक (SBI report) की रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी में सुधार (GST reforms) से राजस्व में न्यूनतम 3700 करोड़ रुपये की कमी आएगी लेकिन विकास और खपत में वृद्धि से राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। जीएसटी परिषद की बैठक में दरों को युक्तिसंगत बनाने का निर्णय लिया गया जिससे बैंकिंग क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और लागत दक्षता में वृद्धि होगी।

नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (SBI report) ने अपनी नई रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि दरों में कमी के माध्यम से जीएसटी में सुधार (GST reforms) से 3,700 करोड़ रुपये का न्यूनतम राजस्व नुकसान होगा।
सरकार का अनुमान है कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने से वार्षिक आधार पर शुद्ध राजकोषीय प्रभाव 48,000 करोड़ रुपये होगा।
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रिपोर्ट के अनुसार, विकास और उपभोग में वृद्धि को देखते हुए, न्यूनतम राजस्व हानि 3,700 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है और इसका राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कुछ दिन पहले हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में , मौजूदा चार-स्तरीय ढांचे को दो-स्तरीय ढांचे से बदल दिया गया है, जिसमें 18 प्रतिशत और पाँच प्रतिशत की मानक दर और कुछ चुनिंदा वस्तुओं और सेवाओं पर 40 प्रतिशत की दर शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी दरों (GST rate cuts) को युक्तिसंगत बनाने से बैंकिंग क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे लागत दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने से प्रभावी भारित औसत दर भी 2017 में लागू होने के समय के 14.4 प्रतिशत से घटकर 9.5 प्रतिशत हो गई है।
जब जीएसटी लागू किया गया था, तब चार दरें 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत थीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चूँकि आवश्यक वस्तुओं (लगभग 295) की जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने से यह 12 प्रतिशत से घटकर पाँच प्रतिशत या शून्य हो गई है, इसलिए चालू वित्त वर्ष में इस श्रेणी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति भी 25 आधार अंकों से 30 आधार अंकों तक कम हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, कुल मिलाकर, सीपीआई मुद्रास्फीति 2026-27 तक 65 आधार अंकों से 75 आधार अंकों के बीच सीमित रह सकती है।
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