स्टेशन पर रातें गुजारने वाले सत्यनारायण नुवाल कैसे बने ₹50000 करोड़ के मालिक? 10वीं तक पढ़े, आज 90+ देशों में कारोबार
Satyanarayan Nuwal success story: सत्यनारायण नुवाल की कहानी प्रेरणादायक है। 10वीं तक पढ़े, 19 साल में शादी, और परिवार की जिम्मेदारी। रोजी-रोटी के लिए ...और पढ़ें

स्टेशन पर रातें गुजारने वाले सत्यनारायण नुवाल कैसे बने ₹50000 करोड़ के मालिक? 10वीं तक पढ़े, आज 90+ देशों में कारोबार
नई दिल्ली| पढ़ाई सिर्फ 10वीं तक, 19 साल की उम्र में शादी और सिर पर परिवार की जिम्मेदारियां। हालात ऐसे कि रोजी-रोटी की तलाश में घर छोड़ना पड़ा। कई रातें रेलवे स्टेशन पर गुजारनी पड़ीं। आमतौर पर ऐसे हालात में ज्यादातर लोग टूट जाते हैं। लेकिन सत्यनारायण नुवाल (Satyanarayan Nuwal biography) ने वक्त और हालात को कैसे अपने फेवर में किया, ये जानकर आप हैरान भी होंगे और प्रेरणा भी लेंगे।
राजस्थान के एक छोटे से गांव में जन्मे सत्यनारायण नुवाल आज 73 साल के हैं और 50000 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। उनका कारोबार सिर्फ भारत तक सीमित नहीं, बल्कि दुनिया के 90 देशों में फैला है। आज वे देश के सबसे अमीर और सफल उद्योगपतियों (Satyanarayan Nuwal success story) में गिने जाते हैं।
कम पढ़ाई, कम उम्र में शादी और पैसों की तंगी... इन सबके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। मेहनत, धैर्य और सही फैसलों ने उन्हें फर्श से अर्श तक पहुंचा दिया। अब सवाल उठता है कि आखिर कैसे एक साधारण गांव का लड़का इतना बड़ा कारोबारी बना? तो चलिए समझते हैं पूरी कहानी।
परिवार की मदद के लिए छोड़ा घर
फोर्ब्स के रियल टाइम बिलेनियर्स इंडेक्स पर नजर डालें, तो भारत के सबसे अमीर लोगों में 73 साल के सत्यनारायण नुवाल का नाम मजबूती से दर्ज है। वह 846वें सबसे अमीर शख्स हैं। सोलर इंडस्ट्रीज (Solar Industries India Ltd founder) के फाउंडर और चेयरमैन नुवाल की नेटवर्थ 5.6 बिलियन डॉलर (Satyanarayan Nuwal net worth 2025) से भी ज्यादा है। उनकी कंपनी का मार्केट कैपिटल करीब 1.13 लाख करोड़ रुपए है और डिफेंस सेक्टर में सोलर इंडस्ट्रीज एक बड़ा नाम बन चुकी है। लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था।
राजस्थान के भीलवाड़ा के एक साधारण परिवार में जन्मे सत्यनारायण नुवाल की पढ़ाई 10वीं के बाद छूट गई। आर्थिक हालात ऐसे थे कि आगे पढ़ना संभव नहीं हो पाया। इसी बीच महज 19 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई और जिम्मेदारियों का बोझ और बढ़ गया। हालात ने उन्हें मजबूर किया कि वे परिवार की मदद के लिए घर छोड़ें और काम की तलाश में निकल पड़ें।
किराया देने तक के नहीं थे पैसे
संघर्ष के वो दिन बेहद कठिन थे। खुद नुवाल ने फोर्ब्स (Satyanarayan Nuwal Forbes ranking) को दिए एक पुराने इंटरव्यू में बताया था कि काम की तलाश के दौरान उनके पास रहने तक के पैसे नहीं होते थे और कई बार उन्हें रेलवे स्टेशन (Indian rags to riches stories) पर रातें गुजारनी पड़ीं। उन्होंने छोटे-बड़े कई धंधों में हाथ आजमाया। फाउंटेन पेन की स्याही और लीजिंग बिजनेस से लेकर ट्रांसपोर्टेशन का काम तक... लेकिन शुरुआती दौर में कहीं सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और आत्मविश्वास बनाए रखा।
मुस्लिम दोस्त के भरोसे ने बना दी जिंदगी
1976-77 के आसपास वे महाराष्ट्र के चंद्रपुर पहुंचे, जहां एक रिश्तेदार के साथ काम करने लगे। यहीं उनकी मुलाकात अब्दुल सत्तार अल्लाह भाई से हुई, जिनके पास विस्फोटक लाइसेंस और बारूद का डिपो था। नुवाल ने यह डिपो 1,000 रुपए महीने के किराए पर लिया। जब किराया देना भी मुश्किल लगा, तो अब्दुल सत्तार ने भरोसा दिखाते हुए कहा- "तीन महीने में एक बार पैसे दे देना।" यही भरोसा आगे चलकर उनकी जिंदगी का बड़ा मोड़ बन गया।
1995 में कर्ज लेकर शुरू की खुद की कंपनी
धीरे-धीरे कोयला खदानों से ऑर्डर मिलने लगे और कारोबार चल निकला। 1984 तक वे कंसाइनमेंट एजेंट बन चुके थे और 90 के दशक तक विस्फोटकों के बड़े डीलर के तौर पर पहचान बना ली। यही दशक उनका टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। 1995 में उन्होंने 60 लाख रुपए का बैंक लोन लेकर अपनी खुद की कंपनी शुरू की।
लाइसेंस मिलने के बाद कारोबार तेजी से बढ़ा। 2006 में कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट हुई, तब टर्नओवर करीब 78 करोड़ रुपए था। इसके बाद 2010 तक सोलर इंडस्ट्रीज भारत की रक्षा सेनाओं के लिए विस्फोटक बनाने का सरकारी लाइसेंस पाने वाली पहली निजी कंपनी बन गई। स्टेशन पर रातें गुजारने वाला यही शख्स आज हजारों करोड़ की कंपनी का मालिक है और यही कहानी उन्हें खास बनाती है।

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