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    S&P ने बढ़ाया भारत के विकास दर का अनुमान, वित्त वर्ष 24 में जीडीपी 6.4 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद

    वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने आज भारत के लिए अपने विकास अनुमान को बढ़ाया है। एसएंडपी ग्लोबल ने अपना अनुमान 6 फीसदी से बढ़ाकर 6.4 फीसदी कर दिया है। हालांकि रेटिंग एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष के लिए अपने विकास दर के अनुमानों को कम कर दिया है। जानिए क्या है लेटेस्ट डेटा और पढ़िए क्या है पूरी खबर।

    By AgencyEdited By: Gaurav KumarUpdated: Mon, 27 Nov 2023 02:30 PM (IST)
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    एसएंडपी ग्लोबल ने अपने अनुमान को 6 फीसदी से बढ़ाकर 6.4 फीसदी कर दिया है।

    पीटीआई, नई दिल्ली। भारत के जीडीपी को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी S&P Global ने आज भारत के विकास दर के अनुमान को बढ़ा दिया है। एसएंडपी ग्लोबल ने अपने अनुमान को 6 फीसदी से बढ़ाकर 6.4 फीसदी कर दिया है।

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    एसएंडपी ने कहा,

    हमने वित्त वर्ष 2024 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि के अपने अनुमान को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया है, क्योंकि मजबूत घरेलू गति उच्च खाद्य मुद्रास्फीति और कमजोर निर्यात से होने वाली बाधाओं की भरपाई करती दिख रही है।

    अगले वित्त वर्ष के लिए घटाया अनुमान

    एसएंडपी ग्लोबल ने अगले वित्त वर्ष (2024-25) के लिए अपने विकास अनुमान को 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया है। एसएंडपी ने कहा,

    हमें उम्मीद है कि धीमी वैश्विक वृद्धि, उच्च आधार और दरों में बढ़ोतरी के विलंबित प्रभाव के बीच वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में विकास धीमा रहेगा। परिणामस्वरूप, हमने वित्तीय वर्ष 2025 में वृद्धि के लिए अपना दृष्टिकोण 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया है।

    वर्तामान में भारत की क्या है जीडीपी?

    आपको बता दें कि चालू वित्त वर्ष 24 के पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की जीडीपी 7.8 प्रतिशत थी। वहीं वित्त वर्ष 22-23 में भारत की जीडीपी 7.2 प्रतिशत रही थी।

    इन देशों की बढ़ सकती है जीडीपी

    एसएंडपी ने कहा कि इस साल और अगले साल विकास ठोस घरेलू मांग के साथ उभरते बाजार अर्थव्यवस्थाओं - भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस में सबसे मजबूत होने की राह पर है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत में निजी उपभोक्ता खर्च की तुलना में निश्चित निवेश में काफी अधिक सुधार हुआ है।

    आरबीआई के अनुमान से अधिक मुद्रास्फीति

    एसएंडपी ने अपने रिपोर्ट में बताया कि हेडलाइन मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है, जिससे पता चलता है कि ब्याज दर चक्र बदलने में कुछ समय लगेगा।

    एसएंडपी ने कहा

    ऑस्ट्रेलिया, भारत और फिलीपींस में, मुद्रास्फीति के बढ़ते जोखिम केंद्रीय बैंकों पर कब्जा जमाए हुए हैं। सरकार कई देशों में राजकोषीय नीतियों का विस्तार करने की योजना बना रही है, जिससे केंद्रीय बैंकों का नीति निर्धारण जटिल हो सकता है