Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Russia Crude Oil : रूस बना भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता, युद्ध शुरू होने से पहले शीर्ष दस देशों में भी नहीं था शामिल

    By JagranEdited By: Arun kumar Singh
    Updated: Thu, 22 Sep 2022 11:11 PM (IST)

    Russia Crude Oil विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि भारत प्रमुख तौर पर एक ऊर्जा आयातक देश है और ऊर्जा खरीद को लेकर सिर्फ अपनी ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े हितों को ध्यान में रखता है।

    Hero Image
    रूस से कच्चे तेल की खरीद भारत ने कई गुना बढ़ा दी है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूक्रेन संकट के बाद के महीनों में रूस से कच्चे तेल की खरीद भारत ने कई गुना बढ़ा दी है। नतीजा यह रहा है कि सिर्फ सात-आठ महीने पहले जहां भारत की कुल ऊर्जा जरूरत का एक प्रतिशत ही रूस से क्रूड खरीदा जाता था वहीं जुलाई, 2022 तक यह बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया है। अप्रैल से जुलाई, 2022 तक के आंकड़े बताते हैं कि भारत ने रूस से कुल 8.953 अरब डालर का क्रूड खरीदा है। रूस भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश बन गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    युद्ध शुरू होने से पहले शीर्ष दस देशों में भी नहीं था रूस

    पहले स्थान पर सऊदी अरब और दूसरे स्थान पर इराक है। यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि रूस का धुर विरोधी देश अमेरिका भारत को क्रूड बेचने वाले देशों में पांचवें स्थान पर है। भारत ने अमेरिका से वर्ष 2016-17 से ही क्रूड की खरीद शुरू की है और इस दौरान वह भारत के लिए एक बड़ा स्त्रोत देश बन गया है। रूस से भारत की तेल खरीद को लेकर अमेरिका और पश्चिमी देश लगातार प्रत्यक्ष तौर पर या परोक्ष तौर पर सवाल उठाते रहे हैं। इन देशों की दबाव बनाने की नीति को भारत ने कभी खास तवज्जो नहीं दी है।

    विदेश मंत्री ने कहा, भारत को ऊर्जा खरीद के बारे में सीख नहीं देनी चाहिए

    विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि भारत प्रमुख तौर पर एक ऊर्जा आयातक देश है और ऊर्जा खरीद को लेकर सिर्फ अपनी ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े हितों को ध्यान में रखता है। एक बार उन्होंने यह भी कहा था कि कभी रूस पर कभी ईरान पर प्रतिबंध लगाने से भारत पर काफी उल्टा असर होता है। साथ ही इन प्रतिबंधों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में काफी अस्थिरता आती है, जिसका खामियाजा भारत जैसे विकासशील देश को उठाना पड़ता है। ऐसे में भारत को ऊर्जा खरीद के बारे में कोई सीख नहीं देनी चाहिए। उन्होंने एक बार यह भी कहा था कि भारत एक साल में जितना क्रूड और गैस रूस से खरीदता है उतना यूरोपीय देश एक दिन में खरीदते हैं।

    अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले 6-7 डालर प्रति बैरल मिल रही छूट

    पेट्रोलियम उद्योग के सूत्रों का कहना है कि फरवरी-मार्च, 2022 में यूक्रेन संकट के शुरुआत में रूस भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के मुकाबले 15-20 डालर प्रति बैरल की छूट दे रहा था लेकिन बाद में इसे घटा दिया गया। अभी भारतीय तेल कंपनियां रूस से जो क्रूड की खरीद कर रही हैं उसमें बमुश्किल 6-7 डालर प्रति बैरल की छूट मिल रही है। यही वजह है कि जुलाई और अगस्त माह में भारतीय कंपनियों ने रूस से क्रूड की खरीद थोड़ी कम भी की है। इसके बावजूद रूस अभी भारत के लिए एक अहम क्रूड आपूर्तिकर्ता देश बना रहेगा।

    इसे भी पढ़ें: Indian Economy: रूस से रियायती कच्चे तेल का आयात करके भारत को 35,000 करोड़ रुपये का लाभ

    इसे भी पढ़ें: घरेलू कच्चे तेल पर सरकार ने घटाया विंडफॉल टैक्स, डीजल और एटीएफ का निर्यात भी हुआ सस्ता