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    लगातार गिरावट के बाद 'रुपये' ने दिखाई मजबूती, RBI के दखल के बाद भारतीय मुद्रा में दिखा सुधार

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 11:04 AM (IST)

    भारतीय मुद्रा, रुपये में हावी गिरावट को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने सख्ती से दखल देने शुरू कर किया है। इसके बाद 17 दिसंबर को 91.07 पर थोड़ा नीच ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। रुपये में लगातार हावी गिरावट को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने सख्ती से दखल देने शुरू कर दिया है, जिसके बाद रुपये ने शुरुआती कारोबार में मजबूती दिखाई है। दिन की शुरुआत में 91.07 पर थोड़ा नीचे खुलने के बाद शुरुआती ट्रेडिंग में रुपया 0.7% बढ़कर 90.25 पर पहुंच गया। तीन ट्रेडर्स ने रॉयटर्स को बताया कि सरकारी बैंक तेज़ी से डॉलर बेच रहे थे, जो शायद रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की तरफ से किया जा रहा था।

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    दरअसल, पोर्टफोलियो आउटफ्लो और अमेरिका-भारत के बीच चल रहे ट्रेड गतिरोध के कारण भारतीय मुद्रा 4 ट्रेडिंग सेशन में रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई थी।

    16 दिसंबर को हुई रुपये में सबसे बड़ी गिरावट

    इससे पहले 16 दिसंबर को भारतीय रुपये में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी और यह अपने रिकॉर्ड सबसे निचले स्तर 91.03 पर पहुंच गया था। रुपये में गिरावट का असर शेयर बाजार पर भी देखने को मिला और मार्केट ने सारी बढ़त गंवा दी। दरअसल, डॉलर की ज्यादा मांग और विदेशी निवेशकों के लगातार बाहर जाने से भी भारतीय मुद्रा पर दबाव बना हुआ है।

    सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि इस साल रुपया, एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है, जो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 6% तक गिरी है। रुपये में गिरावट की एक वजह अमेरिका का भारी टैरिफ है, जिसका असर भारतीय एक्सपोर्ट पर पड़ा है। भारत एकमात्र ऐसी बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसकी अमेरिका के साथ कोई ट्रेड डील नहीं हुई है।

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    रुपये के गिरने से क्या नुकसान

    भारतीय रुपये में कमज़ोरी या गिरावट से पेट्रोल-डीजल समेत आयात होने वाले अन्य सामानों की लागत बढ़ जाती है और इससे महंगाई बढ़ती है। इलेक्ट्रॉनिक्स और उपभोक्ता वस्तुएँ भी महंगी हो जाती हैं क्योंकि ज़्यादातर उपकरण आयातित पुर्जों पर निर्भर करते हैं, जैसे सेमीकंडक्टर, डिस्प्ले और प्रोसेसर, जिनकी कीमत डॉलर में होती है। इसके अलावा फॉरेन एजुकेशन महंगी हो जाती है।

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