रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर, डॉलर के मुकाबले 88.27 पर पहुंचा
विदेशी फंडों की लगातार निकासी और अमेरिकी टैरिफ की आशंकाओं के चलते शुक्रवार को रुपये में डॉलर के मुकाबले 15 पैसे की गिरावट आई और यह 88.27 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया। कमजोर डॉलर और कच्चे तेल की गिरती कीमतें भी रुपये को गिरने से नहीं रोक पाईं। अफवाहों के कारण भारतीय आईटी क्षेत्र पर टैरिफ का डर बना रहा जिससे रुपये में गिरावट आई।

फंडों की ओर से लगातार निकासी और भारत के खिलाफ अमेरिकी टैरिफ के संभावित खतरे के बीच शुक्रवार को रुपये में डालर के मुकाबले 15 पैसे की गिरावट दर्ज की गई और अंत में यह 88.27 के नए निचले स्तर पर जाकर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि कमजोर डालर और कच्चे तेल की गिरती कीमतें भी भारतीय रुपये की गिरावट को रोकने में असफल रहीं। अंतरबैंक मुद्रा विनिमय बाजार में डालर के मुकाबले रुपया 88.11 के स्तर पर खुला। दिनभर के कारोबार के दौरान यह 88.38 के निचले स्तर पर पहुंचा और अंत में यह 88.27 के स्तर पर बंद हुआ।
गुरुवार को अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपया 10 पैसे की गिरावट के साथ 88.12 पर बंद हुआ था। फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली का कहना है कि ट्रंप प्रशासन की ओर से भारत के आइटी क्षेत्र पर टैरिफ लगाने की अफवाह से रुपये रिकार्ड निचले स्तर तक गिरा। टैरिफ की अफवाह से शेयरों में भी गिरावट दर्ज की गई।
हालांकि, जब समाचार एजेंसियों ने इस अफवाह का खंडन किया, तो रुपया थोड़ी सी रिकवरी करने में सफल रहा। उन्होंने कहा, ''बाजारों ने अनुमान लगाया है कि आरबीआइ ने रुपया को बनाए रखने के लिए मजबूत हस्तक्षेप किया है।
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