डिजिटल अरेस्ट से ठगी पर नैनीताल हाई कोर्ट सख्त, आरबीआई और टेलीकॉम कंपनियों से मांगा जवाब
नैनीताल हाई कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट कर ठगी के मामले में दायर याचिका को जनहित याचिका मानते हुए सुनवाई की। कोर्ट ने आरबीआई टेलीकॉम कंपनियों और बैंकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साइबर अपराध रोकने के लिए एसओपी को हर थाने तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं। याचिकाकर्ता सुरेंद्र कुमार को फोन पर गैर जमानती वारंट जारी होने की सूचना देकर 30 हजार रुपये मांगे गए थे।

जासं, नैनीताल। हाई कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट कर ठगी के मामले में हरिद्वार निवासी सुरेंद्र कुमार की याचिका को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करते हुए सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने भारतीय रिजर्व बैंक, टेलीकॉम कंपनियों, केंद्रीय संचार मंत्रालय, राज्य में संचालित प्राइवेट बैंकों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।
मामले की अगली सुनवाई को तीन सप्ताह बाद कि तिथि नियत की है। कोर्ट ने साइबर अपराध को रोकने के लिए जारी एसओपी या निर्धारित मानक प्रक्रिया को हर थाने तक प्रसारित करने के निर्देश दिए हैं। पिछली तिथि को कोर्ट ने याचिकाकर्ता से आरबीआई सहित बैंकों को पक्षकार को कहा था। कोर्ट ने पक्षकारों को स्वीकार करते हुए नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिये हैं।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आइजी कानून व्यवस्था नीलेश आनंद भरणे एसएसपी साइबर क्राइम नवनीत भुल्लर कोर्ट में पेश हुए, उन्होंने बताया कि साइबर अपराध को रोकने के लिए विभाग ने एसओपी जारी कर दी है। जिसपर कोर्ट ने कहा कि इसे प्रदेश के हर थाने में सर्कुलेट करने के साथ ही जागरूकता अभियान चलाएं, ताकि आमजन को फर्जी काल व मैसेज का शिकार न होना पड़े।
हरिद्वार निवासी सुरेंद्र कुमार याचिका दायर कर कहा कि करीब एक माह पूर्व दो अलग अलग फोन नंबरों से उन्हें फोन कर उन्हें अपर जिला जज देहरादून की अदालत से गैर जमानती वारंट जारी होने व 30 हजार रुपये तत्काल जमा करने को कहा गया । इस राशि को जमा करने को जिला देहरादून के नाम सहित चार अन्य स्कैनर भी दिए गए।
याचिकाकर्ता के अनुसार इस फर्जी फोन कॉल्स व स्कैनर की जानकारी हरिद्वार पुलिस को दी जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई । जिस कारण उन्हें हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी ।
इधर आये दिन फर्जी फोन कॉल के जरिये लोगों को डिजिटल अरेस्ट की खबरों व इस घटना का संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली कोर्ट ने इस मामले को जनहित याचिका के रूप में सुनने का निर्णय लिया है।
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