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    ट्रंप टैरिफ के बाद H-1B Visa ने बिगाड़ा भारतीय रुपये का खेल, डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड 88.76 निचले स्तर पर

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 01:44 PM (IST)

    Rupee hits Record low आज भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.76 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। रुपये में यह गिरावट ट्रंप के टैरिफ और अमेरिकी एक्शन के कारण हुई है। H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि और भारतीय आईटी कंपनियों के मुनाफे पर संभावित असर के कारण भी रुपये कमजोर हुआ है।

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    एच-1बी वीजा शुल्क से रुपया 88.76 डॉलर प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा

    नई दिल्ली। दोपहर के कारोबार के दौरान भारतीय रुपये अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.76 के रिकॉर्ड निचले स्तर (Rupee hits Record low) पर पहुंच गया। पहले ट्रंप के टैरिफ की वजह से रुपये गिरा और अब एक बार फिर से अमेरिकी एक्शन का असर भारतीय करेंसी पर पड़ रही है। 

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    रुपये में कमजोरी एच-1बी वीजा शुल्क में बढ़ोतरी और भारत की आईटी कंपनियों के मुनाफे पर संभावित असर के चलते देखी जा रही है। इससे इक्विटी निवेश पर असर पड़ सकता है क्योंकि विदेशी निवेशक घरेलू आईटी शेयरों में अपनी हिस्सेदारी का पुनर्मूल्यांकन कर सकते हैं।

    शेयर बेचकर डॉलर खरीद रहे विदेशी निवेशक

    फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, "शुल्क का मुद्दा भारतीय बाजारों को हिला रहा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) डॉलर खरीद रहे हैं और शेयर बेच रहे हैं, जिससे उनका पैसा पश्चिमी बाजारों में लग रहा है। शुल्क के बाद, 1,00,000 डॉलर के वीज़ा शुल्क ने एफपीआई को दो दिनों की छोटी खरीदारी के बाद 2,900 करोड़ रुपये के शेयर बेचने के लिए मजबूर किया है।"

    क्यों गिर रहा रुपया

    रॉयटर्स ने एएनजेड बैंक के विदेशी मुद्रा रणनीतिकार धीरज निम के हवाले से कहा, "रुपये पर, टैरिफ 50% तक बढ़ने के कारण दबाव बढ़ गया है और वीजा से जुड़ी हालिया खबरें इक्विटी प्रवाह, खासकर आईटी क्षेत्र में, के लिए लगातार नकारात्मक हैं।"

    रुपये की कमजोरी अन्य एशियाई मुद्राओं के अनुरूप ही है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, इंडोनेशियाई रुपिया 0.36 प्रतिशत, थाई बाट 0.22 प्रतिशत, फ़िलिपीनी पेसो 0.17 प्रतिशत और दक्षिण कोरियाई वॉन 0.1.4 प्रतिशत कमजोर है।

    अगले साल से एच-1बी वीजा शुल्क में नई बढ़ोतरी ने कम धन प्रेषण और भारत के आईटी क्षेत्र से संभावित इक्विटी बहिर्वाह को लेकर चिंताएँ पैदा कर दी हैं, जो ऐसे समय में रुपये के लिए दोहरी मार साबित हो सकती है जब विदेशी निवेश पहले से ही कमज़ोर है। एफपीआई ने 2025 में अब तक 15 अरब डॉलर से ज्यादा मूल्य के भारतीय शेयर बेचे हैं।

    बैंक ऑफ बड़ौदा इंडिया इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि वीजा नीतियों के कारण रुपया दबाव में बना हुआ है।

    सितंबर में सबसे बड़ी गिरावट

    दोपहर के समय, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.7238 पर कारोबार कर रहा था, जबकि खुलने पर यह 88.4137 और बंद होने पर 88.3163 पर था। सितंबर में रुपये की यह सबसे बड़ी इंट्राडे गिरावट है, जो एक दिन में डॉलर के मुकाबले 0.51 प्रतिशत कम हुई।

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