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दो वर्षों के अधिकतम स्‍तर पर पहुंची महंगाई दर, जुलाई में रही 6.07 फीसद

जुलाई में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6.07 फीसद पर पहुंच गई। यह इसका 23 महीने का उच्चतम स्तर है। जून में यह 5.77 फीसद थी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2016 03:35 AM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2016 04:55 AM (IST)
दो वर्षों के अधिकतम स्‍तर पर पहुंची महंगाई दर, जुलाई में रही 6.07 फीसद

नई दिल्ली (प्रेट्र)। महंगाई के मोर्चे पर सरकार को खास कामयाबी मिलती नहीं दिख रही है। कीमतों में उछाल से आम लोगों की जेब पर बढ़ते बोझ की ताकीद खुद सरकारी आंकड़ों ने कर दी है। जुलाई में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6.07 फीसद पर पहुंच गई। यह इसका 23 महीने का उच्चतम स्तर है। जून में यह 5.77 फीसद थी। ज्यादा चिंता की बात यह है कि इसी दौरान खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर 8.35 फीसद हो गई है। जून में खाद्य महंगाई दर 7.79 फीसद थी।

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खुदरा महंगाई की ताजा दर सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा मिलकर तय किए लक्ष्य से भी ज्यादा हो गई है। महंगाई दर को दो से छह फीसद के बीच रखने का लक्ष्य है। रिजर्व बैंक ने अगले साल मार्च तक इसे पांच फीसद पर लाने का इरादा जताया है। खुदरा महंगाई बढ़ने का मतलब है कि ब्याज दर में अभी कोई कमी नहीं होने वाली है। ऐसे में सस्ते कर्ज की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

खुदरा महंगाई को बढ़ाने में रसोई की तीन अहम चीजों- दाल, चीनी और सब्जियों की बड़ी हिस्सेदारी रही। महीने दर महीने के आधार पर जुलाई में दालों की महंगाई दर 26.86 से बढ़कर 27.53 फीसद रही। चीनी की खुदरा महंगाई 16.79 से बढ़कर 21.91 फीसद हो गई। इसे देखते हुए खाद्य मंत्री रामविलास ने मिलों से चीनी कीमतों को काबू में रखने को कहा है। वैसे, सब्जियों की महंगाई दर 14.74 से घटकर 14.06 फीसद हो गई है।

धीमी हुई कारखानों की रफ्तार

औद्योगिक उत्पादन के मोर्चे से भी राहत की खबर नहीं है। इस साल जून में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 2.1 फीसद रही। भले ही यह दर मई के 1.1 फीसद के मुकाबले बेहतर रही, मगर बीते साल के समान महीने में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार 4.2 फीसद रही थी। चालू साल की अप्रैल-जून तिमाही में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) 0.6 फीसद बढ़ा। पिछले साल की समान अवधि में औद्योगिक वृद्धि दर 3.3 फीसद थी।

इस साल जुलाई में कैपिटल गुड्स के उत्पादन में सबसे ज्यादा 16.5 फीसद की गिरावट आई है। बीते साल की समान अवधि में इनका उत्पादन दो फीसद गिरा था। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कैपिटल गुड्स का उत्पादन 18 फीसद की गिरावट का शिकार बना। इन वस्तुओं को निवेश का बैरोमीटर समझा जाता है। इसी तरह समीक्षाधीन माह के दौरान कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का उत्पादन भी कमजोरी का शिकार बना रहा। हालांकि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के उत्पादन में 0.9 फीसद की बढ़ोतरी हुई। जुलाई में बिजली उत्पादन में 8.3 फीसद की बढ़ोतरी हुई। इसी तरह खनन क्षेत्र के उत्पादन में भी 4.7 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई।

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निर्यात में फिर गिरावट का रुख

नई दिल्ली : विदेशी व्यापार के मोर्चे पर भी राहत नहीं दिख रही है। इस साल जून में बढ़ने के बाद निर्यात फिर गिरावट का शिकार हो गया। जुलाई में निर्यात 6.84 फीसद घटकर 21.69 अरब डॉलर पर रहा। लगातार 18 महीने की गिरावट के बाद जून में पहली बार निर्यात बढ़ा था।

जुलाई में आयात भी 19.03 फीसद लुढ़ककर 29.45 अरब डॉलर पर आ गया। इस वजह से विदेशी व्यापार घाटा (निर्यात और आयात का अंतर) कम होकर 7.76 अरब डॉलर पर आ गया। बीते साल के समान महीने में यह घाटा 13 अरब डॉलर से ज्यादा था। इसी तरह सोने का आयात भी जुलाई, 2016 में 64 फीसद की भारी गिरावट के साथ 1.08 अरब डॉलर हो गया। बीते साल जुलाई में 2.97 अरब डॉलर का सोना आयात किया गया था।

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