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    ट्रंप के एक्शन का भारत में दिखा रिएक्शन, मुकेश अंबानी की रिलायंस को बड़ा झटका; रूस से तेल आयात रोकना पड़ेगा?

    Updated: Thu, 23 Oct 2025 03:44 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध का असर भारत पर हुआ है। रिलायंस इंडस्ट्रीज को रोसनेफ्ट से तेल आयात रोकना पड़ सकता है, जिससे कंपनी के शेयर गिरे। रिलायंस और रोसनेफ्ट के बीच 25 वर्षों का समझौता था, जिसके तहत रिलायंस प्रतिदिन 500,000 बैरल तेल का आयात करती थी। अब देखना होगा कि इस प्रतिबंध का भारतीय तेल बाजार पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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    ट्रंप के एक्शन का भारत में दिखा रिएक्शन, मुकेश अंबानी की रिलायंस को बड़ा झटका; रूस से तेल आयात रोकना पड़ेगा

    नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने रूसी की दो सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध की घोषणा की। ट्रंप के इस एक्शन का असर भारत में भी दिखा है। भारती की प्राइवेट कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट से तेल आयात करना बंद करना पड़ सकता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज, रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट से प्रतिदिन लगभग 500,000 बैरल कच्चा तेल खरीदने के अपने दीर्घकालिक समझौते के तहत तेल आयात करना बंद कर देगी। अमेरिका द्वारा इस तेल उत्पादक कंपनी पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, इस मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। इसका असर रिलायंस के शेयरों पर भी दिखा। इस खबर को लिखते वक्त रिलायंस के शेयर NSE पर 1.17% फीसदी गिरकर 1,448 रुपये के स्तर पर बंद हुए।
     
    रूसी कच्चे तेल की सबसे बड़ी भारतीय खरीदार रिलायंस, अपने दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनिंग कॉम्प्लेक्स के लिए भी हाजिर बाजार से रूसी तेल खरीदती है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार दो रूसी तेल कंपनियों के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिबंध से रिलायंस इंडस्ट्रीज के रूस से कच्चे तेल के आयात पर असर पड़ने की संभावना है, हालांकि सरकारी रिफाइनरी अभी मध्यस्थ व्यापारियों के माध्यम से खरीद जारी रख सकते हैं।

    रिलायंस और रूस की कंपनी रोसनेफ्ट के बीच हुआ था समझौता

    रिलायंस ने दिसंबर 2024 में रूस की कंपनी रोसनेफ्ट (जो अब प्रतिबंधित है) के साथ 25 वर्षों तक प्रतिदिन 5,00,000 बैरल रूसी तेल आयात करने के लिए एक सावधिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह बिचौलियों से भी तेल खरीदता है। रोजनेफ्ट और लुकोइल मिलकर प्रतिदिन लगभग 31 लाख बैरल तेल का निर्यात करते हैं, जिसमें अकेले रोजनेफ्ट वैश्विक तेल उत्पादन का 6% और रूस के उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा है।

    रिपोर्ट के अनुसार, उद्योग के सूत्रों ने संकेत दिया कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां अनुपालन जोखिमों का आकलन कर रही हैं, लेकिन रूसी कच्चे तेल के प्रवाह को तुरंत रोकने की संभावना नहीं है। यह ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति प्रक्रिया के लिए मास्को की गंभीर प्रतिबद्धता की कमी के लिए रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिया है। रोसनेफ्ट एक ऊर्जा कंपनी है जो पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम उत्पादों की खोज, निष्कर्षण, उत्पादन, शोधन, परिवहन और बिक्री में विशेषज्ञता रखती है।

    रूस से ये भारतीय कंपनियां खरीदती हैं तेल

    पीटीआई के अनुसार, रूसी तेल निजी क्षेत्र की कंपनियों - रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी - और सरकारी तेल रिफाइनरी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (एचएमईएल) द्वारा खरीदा जाता है।
     
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