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    क्या सच में Tariff को लेकर Trump से मिलेंगे मुकेश अंबानी? रिलायंस को ओर से आया ये जवाब

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 08:08 PM (IST)

    रिलायंस इंडस्ट्रीज ने मुकेश अंबानी और डोनाल्ड ट्रंप की संभावित मुलाकात (Mukesh Ambani and Donald Trump meeting) की खबरों का खंडन किया है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि अंबानी ट्रंप से मुलाकात कर सकते हैं और इवांका ट्रंप इसमें भूमिका निभा सकती हैं। रिलायंस ने इन खबरों को गलत बताया है।

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    मुकेश अंबानी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात पर आया स्पष्टीकरण।

    नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने उन खबरों का खंडन किया है जिनमें कहा गया था कि चेयरमैन मुकेश अंबानी 12 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात (Mukesh Ambani and Donald Trump meeting)  कर सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि अंबानी ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं और इवांका ट्रंप इस मुलाकात में अहम भूमिका निभा सकती हैं। साथ ही यह भी कहा जा रहा था कि अमेरिका-भारत व्यापार समझौते का रास्ता साफ हो सकता है। हालांकि, रिलायंस ने इन खबरों का खंडन किया है।

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    मुकेश अंबानी ने जनवरी में राष्ट्रपति ट्रंप के उद्घाटन समारोह से ठीक पहले एक निजी पार्टी में उनसे मुलाकात की थी, लेकिन अमेरिका द्वारा भारत के खिलाफ कदम बढ़ाए जाने के कारण भारतीय अरबपति अंबानी कूटनीतिक उलझन में फंस गए हैं।

    रूस से तेल आयात 3% से बढ़कर 50% हुआ

    अलजजीरा की के बताए गए CREA के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में RIL की जामनगर रिफाइनरी के कुल कच्चे तेल के आयात में रूसी कच्चे तेल का हिस्सा केवल 3% था। यूक्रेन में युद्ध के बाद से, यह हिस्सा 2025 में औसतन 50% तक बढ़ गया है।

    2025 के पहले सात महीनों में, रिलायंस इंडस्ट्रीज की जामनगर रिफाइनरी ने रूस से 18.3 मिलियन टन कच्चा तेल आयात किया, जो साल-दर-साल 64% की बढ़ोतरी का बताता है। जिसका मूल्य 8.7 बिलियन डॉलर है। CREA के अनुसार, इस अवधि में RIL का रूसी आयात 2024 के पूरे वर्ष के कुल आयात से केवल 12% कम था।

    भारत रूस से तेल आयात नहीं रुकेगा

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार, 5 सितंबर को कहा कि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा। उन्होंने सीएनएन-न्यूज़18 से कहा, "हमें यह तय करना होगा कि कौन सा (आपूर्ति स्रोत) हमारे लिए सबसे उपयुक्त है। इसलिए हम निस्संदेह इसे खरीदेंगे।" उन्होंने आगे कहा कि भारत अपनी अधिकांश विदेशी मुद्रा कच्चे तेल और परिष्कृत ईंधन की खरीद पर खर्च करता है।

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