RBI Repo Rate Hike: इन 10 बिंदुओं में समझें आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के संबोधन की प्रमुख बातें
RBI Repo Rate Hike आरबीआई ने नई मौद्रिक नीति को जारी दिया है। इसमें रेपो रेट को बढ़ाने के साथ कई बड़े एलान किए गए हैं। हालांकि इस बार भी महंगाई को चिंता का विषय बताया गया है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India -RBI) की ओर से बुधवार को ब्याज दर बढ़ाने का एलान किया गया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों को 35 आधार अंक या 0.35 प्रतिशत बढ़ाने के फैसला किया है। इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट बढ़कर 6.25 प्रतिशत हो गया है।
ब्याज दर बढ़ाने के साथ आरबीआई की ओर से महंगाई और अर्थव्यवस्था के विकास दर को लेकर अनुमान भी जारी किए गए हैं। इस लेख में हम आपको आरबीआई की नई मौद्रिक नीति की प्रमुख बातें बताएंगे।
RBI की मौद्रिक नीति की 10 बड़ी बातें
- आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई के अनुमान में कोई बदलाव नहीं है और इसे 6.70 प्रतिशत कर बरकरार रखा गया है। वहीं, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में महंगाई 6.60 प्रतिशत और चौथी तिमाही में महंगाई 5.90 प्रतिशत रह सकती है।
- आरबीआई ने कहा कि महंगाई अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। इसे कम करने के लिए केंद्रीय बैंक की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं।
- चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर का अनुमान को 7.00 प्रतिशत से घटाकर 6.80 प्रतिशत कर दिया गया है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में ये 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रह सकती है। वहीं, वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में विकास दर 7.1 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में विकास दर 5.90 प्रतिशत रह सकती है।
- रुपये की कीमत को लेकर कहा कि रियल टर्म में रुपया 3.20 प्रतिशत बढ़ा है।
- इसके साथ आरबीआई गवर्नर की ओर से कहा गया कि यूपीआई और भारत बिल पेमेंट सिस्टम को आगे बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा।
- अब IFSC में गोल्ड प्राइड रिस्क के एक्सपोजर को हेज किया जा सकेगा।
- मौद्रिक नीति के अकोमोडेटिव रूख को वापास ले लिया गया है। एमपीसी 6 में से 4 सदस्यों ने अकोमोडेटिव रूख वापास लेने के पक्ष में थे।
- आरबीआई ने बताया कि 2 दिसंबर तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 561.2 अरब डॉलर हो गया है।
- गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि सिस्टम में लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था में को लग रहे बड़े झटकों के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी बनी हुई है।
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