RBI गवर्नर बोले- मौजूदा परिस्थिति में ढील देने का कोई औचित्य नहीं
नीतिगत दरों पर फैसला लेने वाली एमपीसी की बैठक छह से आठ अगस्त के बीच हुई थी और दो सदस्यों ने रेपो रेट को कम करने की वकालत की थी। आठ अगस्त को आरबीआइ ने लगातार नौवीं बार रेपो रेट को अपरिवर्तत रखने का एलान किया था। एमपीसी के दो अन्य सदस्यों आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की वकालत की।
पीटीआई, नई दिल्ली। इस समय नीतिगत दरों में किसी तरह की ढील देने का कदम महंगाई को काबू में रखने की प्रक्रिया को पटरी से उतार सकता है। आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में मतदान करते हुए यह बात कही थी।
लगातार नौंवी बार रेपो रेट अपरिवर्तत
नीतिगत दरों पर फैसला लेने वाली एमपीसी की बैठक छह से आठ अगस्त के बीच हुई थी और दो सदस्यों ने रेपो रेट को कम करने की वकालत की थी। आठ अगस्त को आरबीआइ ने लगातार नौवीं बार रेपो रेट को अपरिवर्तत रखने का एलान किया था और कहा था कि वह लगातार ऊंची बनी हुई खाद्य मुद्रास्फीति का जोखिम नहीं उठा सकता है।
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7 से 9 अक्टूबर के बीच अगली बैठक
एमपीसी की अगली बैठक 7 से 9 अक्टूबर, 2024 के लिए निर्धारित है। गुरुवार को जारी किए गए एमपीसी बैठक के ब्योरे के अनुसार, आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 2024-25 के लिए 4.5 प्रतिशत सकल मुद्रास्फीति के लक्ष्य को अगर ध्यान में रखा जाए तो वर्तमान रेपो रेट पूरी तरह संतुलित है।
उन्होंने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन इसकी गति धीमी और असमान है। डिप्टी गवर्नर और एमपीसी सदस्य देबब्रत पात्रा ने कहा कि सकल मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति के बीच खाई बढ़ती जा रही है।
एमपीसी के दो अन्य सदस्यों आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की वकालत की। गोयल ने कहा कि भले ही आर्थिक वृद्धि ऊंची हो, लेकिन इसे अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचना होगा।
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