Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Railways News: रेलवे को समय से नहीं मिले ये उपकरण, लग गया करोड़ों का चूना

    Updated: Thu, 08 Feb 2024 05:49 PM (IST)

    ओपन एक्सेस के तहत मार्च 2016 में एक समझौता हो जाने के बावजूद बिजली की आपूर्ति जनवरी 2017 से शुरू हो पाई जिसका मुख्य कारण एबीटी मीटर के प्रावधान में देरी थी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की 2022 में संसद में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार ओपन एक्‍सेस की तरफ श‍िफ्ट होने में देरी की वजह से बिजली खरीद पर 75.10 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ।

    Hero Image
    रेलवे के परिचालन नेटवर्क से संबंधित सभी सामानों की खरीद प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और फास्ट-ट्रैक करने की सिफारिश।

    पीटीआई, नई दिल्‍ली। रेलवे (Railways) को उपलब्धता आधारित टैरिफ (ABT) मीटर के प्रावधान में देरी की वजह से करोड़ों रुपये का चूना लगा है। लोक लेखा समिति (PAC) की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम मध्य रेलवे (West Central Railway) द्वारा एबीटी मीटर के प्रावधान में देरी के कारण बिजली खरीद पर 75.10 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च करना पड़ा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बुधवार को समिति ने लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें कहा गया है कि रेल मंत्रालय ने मार्च 2015 में सभी जोनल रेलवे को खुले बाजार से सीधे बिजली खरीदने और एबीटी मीटर लगाने के निर्देश दिए थे। इसका उद्देश्‍य खुले बाजार से बिजली खरीदकर परिवहन लागत कम करना था।

    यह भी पढ़ें: ...तो 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी वंदे भारत, रेल मंत्री बोले- गति बढ़ाने पर तेजी से जारी है काम

    एबीटी मीटर विशेष प्रकार के ऊर्जा मीटर होते हैं जिनका उपयोग टैरिफ प्रणाली के तहत बिजली की खपत की निगरानी और गणना करने के लिए किया जाता है।

    ओपन एक्सेस के तहत मार्च 2016 में एक समझौता हो जाने के बावजूद, बिजली की आपूर्ति जनवरी 2017 से शुरू हो पाई, जिसका मुख्य कारण एबीटी मीटर के प्रावधान में देरी थी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की 2022 में संसद में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार ओपन एक्‍सेस की तरफ श‍िफ्ट होने में देरी की वजह से बिजली खरीद पर 75.10 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ।

    समिति ने कहा कि मंत्रालय के बार-बार निर्देशों के बावजूद, पश्चिम मध्य रेलवे प्रशासन ने आवश्यक एबीटी मीटरों को तुरंत सुरक्षित और स्थापित नहीं किया।

    यह भी पढ़ें: नई दिल्ली से हावड़ा का सफर मात्र 12 घंटे में होगा पूरा, चलेगी हाईस्पीड ट्रेन; इतने किलोमीटर प्रतिघंटा होगी रफ्तार

    रिपोर्ट के अनुसार, एबीटी मीटर आखिरकार 10 जनवरी, 2017 और 20 अप्रैल, 2017 के बीच खरीदे और लगाए गए। इस प्रकार, एबीटी मीटर की खरीद और अनुमान तैयार करने में एक साल से अधिक की देरी हुई, जिसके कारण 15 मार्च, 2016 से 10 जनवरी 2017 तक की अवधि में 75.10 करोड़ रुपये का भारी अतिरिक्त खर्च हुआ।

    समिति ने सिफारिश की है कि मंत्रालय को रेलवे के परिचालन नेटवर्क से संबंधित सभी सामानों की खरीद प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और फास्ट-ट्रैक करना चाहिए।