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    किसानों पर आई आफत, नहीं मिलेगा बर्बाद हुई 2 लाख एकड़ की फसल का बीमा; कौन करेगा नुकसान की भरपाई?

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 01:38 PM (IST)

    PM Bima Fasal Yojana पंजाब में बाढ़ के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है लगभग 2 लाख एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। केंद्र की पीएम फसल बीमा योजना राज्य में लागू नहीं होने के कारण किसानों को मुआवजे की चिंता है। किसान संगठन नुकसान के बराबर मुआवजा देने वाली बीमा योजना की मांग कर रहे हैं।

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    पंजाब के किसानों पर आई आफत, क्यों नहीं मिलेगा बर्बाद हुई 2 लाख एकड़ की फसल का बीमा

    नई दिल्ली। पंजाब इस समय संकटमय स्थिति में है। बाढ़ ने पूरे राज्य (Punjab Flood) को तबाह कर दिया है। सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार अब तक करीब 2 लाख एकड़ की फसल बर्बाद हो गई है। नदियां अपने उफान पर हैं। जिधर देखो उधर पानी का सैलाब दिखाई दे रहा है। इस सैलाब में जान और माल दोनों का नुकसान हो रहा है। करोड़ों रुपये की किसानों की फसल बर्बाद हो गई है। लेकिन इस बर्बादी का उन्हें मुआवजा भी नहीं मिलेगा। कारण है कि न तो इस राज्य में केंद्र की पीएम बीमा फसल योजना (PM Bima Fasal Yojana) लागू है और न ही राज्य सरकार की योजना। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर किसानों को हुए करोड़ों रुपये के नुकसान की भरपाई कौन करेगा।

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    पंजाब की तररह दिल्ली में यमुना नदी (Yamuna Flood) उफान पर है। बाढ़ की वजह से कई घर डूब गए हैं। लोग अपने ही घरों से बाहर रहने पर मजबूर हैं। 

    इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार इस कृषि प्रधान राज्य के किसानों ने फसल के नुकसान को लेकर चिंता जताई है और कई किसानों ने आधिकारिक फसल बीमा पॉलिसी की मांग की है। राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार, लगभग 3 लाख एकड़ भूमि और लगभग 1.25 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। कीर्ति किसान संघ जैसे किसान संगठन सरकार से नुकसान के बराबर मुआवजा देने के सिद्धांत पर आधारित बीमा योजना लागू करने का आग्रह कर रहे हैं।

    किसानों को नहीं मिलेगा PM Bima Fasal Yojana का लाभ?

    केंद्र सरकार द्वारा 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों के खिलाफ व्यापक बीमा प्रदान करती है। किसान मामूली प्रीमियम का भुगतान करते हैं। खरीफ फसलों (मानसून के महीनों में बोई जाने वाली) के लिए 2%, रबी फसलों (सर्दियों के महीनों में बोई जाने वाली) के लिए 1.5%, और बागवानी एवं व्यावसायिक फसलों के लिए 5%—जबकि केंद्र और राज्य शेष लागत वहन करते हैं।

    पंजाब सरकार ने कभी केंद्र की इस बीमा फसल योजना को लागू ही नहीं किया। राज्य सरकार इसे लागू न करने के पीछा का कारण खजाने पर वित्तीय बोझ और दावा निपटान में पारदर्शिता की चिंता बताती है।

    कौन करेगा किसानों को हुए नुकसान की भरपाई?

    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016 की शुरुआत में शुरू की गई थी, उस समय पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) और भाजपा गठबंधन सत्ता में थी। हालांकि SAD उस समय केंद्र में सत्तारूढ़ NDA का सहयोगी था, फिर भी तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस योजना को लागू नहीं किया था। उसके बाद कांग्रेस की सरकार आई और अब आम आदमी पार्टी की सरकार है।  राज्य सरकार ने अपनी ओर से फसल बीमा योजना लाने की घोषणा की थी लेकिन अब तक वह योजना ला नहीं पाई है।

    बाढ़ (Punjab Flood) के बीच सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पिछले दशकों में बार-बार घोषणाओं के बावजूद पंजाब में फसल बीमा नीति क्यों नहीं है, और इसके अभाव में किसान कैसे जूझ रहे हैं?

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