'दाल में काला' तलाशेंगी खुफिया एजेंसियां
देश में दाल के दाम आसमान छू रहे हैं। दाल की कमी को पूरा करने के लिए सरकार आपूर्ति बढ़ा रही है। ...और पढ़ें

नई दिल्ली, (सुरेंद्र प्रसाद सिंह)। देश में दाल की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने आपूर्ति बढ़ाने के सारे रास्ते खोल दिए हैं। इसके साथ ही जमाखोरी और कालाबाजारी करने वालों पर शिकंजा कसने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
'दाल में कुछ काला' पकड़ने के लिए राज्यों के पुलिस महानिदेशक, खुफिया एजेंसियों के प्रमुख, राजस्व खुफिया विभाग, आयकर विभाग और केंद्रीय खुफिया एजेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो का सहयोग लिया जा रहा है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में दाल की उपलब्धता बनाए रखने के पुख्ता बंदोबस्त पर विचार-विमर्श किया गया। बीते दिन वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में दालों के बफर स्टॉक को डेढ़ लाख टन से बढ़ाकर आठ लाख टन करने का फैसला किया गया था। इसमें किसानों से सीधे खरीदी गई दलहन के अलावा विदेश से आयातित दालें शामिल होंगी।
कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई एक बैठक के बाद बताया गया कि बफर स्टॉक के लिए 6.5 लाख टन दालें आयात की जाएंगी। यह मात्रा प्राइवेट कंपनियों के आयात के अतिरिक्त होगा। अगले सप्ताह तक केंद्र के आला अफसरों का दल मोजांबिक और म्यामांर के दौरे पर जाएगा। यह सौदा सीधे वहां की सरकारों से होगा। इन देशों से ही अरहर व उड़द का ज्यादा आयात होता है।उपभोक्ता मामलों के सचिव हेम पांडे ने दलहन उत्पादक राज्यों के खाद्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और खुफिया एजेंसियों से गुफ्तगू की।
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घरेलू बाजारों में उपलब्धता के बावजूद दालों की कीमतों के तेज होने पर जमाखोरों की सक्रियता की आशंका बढ़ी है। इसके लिए राज्यों को स्पष्ट तौर पर कहा गया कि आवश्यक वस्तु अधिनियम और स्टॉक सीमा जैसे कानूनों पर अमल की सख्त जरूरत है। राजस्व खुफिया एजेंसी और आयकर विभागों की सक्रियता से जमाखोरों में दहशत बनेगी।पुलिस महानिदेशकों से कहा गया कि जिंस कारोबारियों पर कड़ी नजर रखी जाए, ताकि जमाखोरों व कालाबाजारी करने वालों पर अंकुश लगाया जा सके।
पिछले साल छापेमारी और जब्ती अभियान चलाने से लगभग डेढ़ लाख टन दालें जमाखोरों के यहां पकड़ी गई थीं। राज्यों से कहा गया है कि इस बार अभियान को और तेजी से चलाएं। बैठक में जिन राज्यों के अफसर नहीं पहुंच सके, उनसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के मार्फत संपर्क किया गया। सरकार के कमर कसने से अब दालों को दबाकर रखने वालों की खैर नहीं है।

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