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    मनमोहन सरकार ने छुपाए गरीब, संख्या बताई 10 करोड़ कम

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    Updated: Mon, 07 Jul 2014 05:35 PM (IST)

    पूर्व यूपीए सरकार की फजीहत करने वाला गरीबी का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। इस बार यह रंगराजन समिति की रिपोर्ट के रूप में आया है। इस रिपोर्ट ने अहम खुलासा करते हुए कहा है कि वर्ष 2011-12 में देश में 36.3 करोड़ गरीब थे। जबकि, इससे पहले तत्कालीन मनमोहन सरकार ने लोकसभा चुनाव 2014 से

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्व यूपीए सरकार की फजीहत करने वाला गरीबी का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। इस बार यह रंगराजन समिति की रिपोर्ट के रूप में आया है। इस रिपोर्ट ने अहम खुलासा करते हुए कहा है कि वर्ष 2011-12 में देश में 36.3 करोड़ गरीब थे। जबकि, इससे पहले तत्कालीन मनमोहन सरकार ने लोकसभा चुनाव 2014 से पहले गरीबी घटाने का सेहरा अपने सिर बांधते हुए देश में मात्र 26.9 करोड़ गरीब होने का दावा किया था। इस तरह यूपीए सरकार ने वास्तविक संख्या से करीब 10 करोड़ गरीब कम दिखाए।

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    रंगराजन समिति के फार्मूला के अनुसार, वर्ष 2011-12 में देश में 29.5 प्रतिशत गरीबी थी जो 2009-10 की अपेक्षा 8.7 प्रतिशत कम थी। इस तरह दो साल की अवधि में गरीबों की संख्या 45.4 करोड़ से घटकर 36.3 करोड़ रह गई। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने गरीबी का आकलन तेंदुलकर के गरीबी फार्मूला के आधार पर किया था।

    तेंदुलकर फार्मूला के अनुसार 2009-10 में गरीबी 29.8 प्रतिशत थी जो 2011-12 में कम होकर 21.9 प्रतिशत रह गई। यूपीए सरकार का कहना था कि तेंदुलकर फार्मूले के आधार पर देश में गरीबों की संख्या 35.4 करोड़ से कम होकर 26.9 करोड़ हुई है।

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