सयाने हो रहे हैं भारत के लोग, घर खर्च में आया बड़ा बदलाव, फैशन व फिजूलखर्ची छोड़ यहां लगा रहे हैं पैसा
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में भारतीय परिवारों के खर्चों को लेकर कई हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। 2011-12 और 2023-24 के विश्लेषण पर आधारित सर्वेक्षण से पता चला है कि देश में सभी टिकाऊ परिसंपत्तियों में मोटर वाहन स्वामित्व सबसे तेजी से बढ़ रहा है।

नई दिल्ली। भारत में घरेलू खर्च के पैटर्न में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि लोग की बुनियादी जरूरतों से लेकर विभिन्न संपत्तियों की खरीदी के मामले में बड़ा परिवर्तन देखा जा रहा है। इस सर्वे की मानें तो लोग अब गैर-जरूरी फैशन आइटम्स की जगह ऐसी चीजो को खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं जो उनके जीवन को आसान बनाए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती जागरूकता, बेहतर वित्तीय पहुंच और बेहतर बाजार संपर्क से प्रेरित उपभोग में यह बदलाव उत्पादकता के लेवल और जीवन स्तर में सुधार के लिए काफी मायने रखता है। घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2011-12 और 2023-24 के विश्लेषण पर आधारित सर्वेक्षण से पता चला है कि देश में सभी टिकाऊ परिसंपत्तियों में मोटर वाहन स्वामित्व सबसे तेजी से बढ़ रहा है।
टिकाऊ सामानों की खरीदी बढ़ी
इस सर्वे रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, भारतीय परिवार कपड़ों और फुटवियर जैसी कैटेगरी की तुलना में व्यक्तिगत वस्तुओं और खाना पकाने तथा घरेलू उपकरणों पर खर्च को प्राथमिकता दे रहे हैं, यह रुझान केवल उच्च आय वर्ग में ही नहीं, बल्कि निचले 40% इनकम कैटेगरी फैमिलीज में भी साफ दिखाई दे रही है।इस सर्वे की मानें तो जहां मोटर वाहन और अन्य टिकाऊ वस्तुओं की खरीद तेजी से बढ़ी है, वहीं टेलीविजन खरीदी में वृद्धि धीमी रही है। कई राज्यों के शहरी इलाकों में तो टीवी रखने वाले परिवारों की संख्या कुल आबादी और निचले 40% आय समूह दोनों में घटती दिखाई दी है।
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इस सर्वे में मोटर वाहन, रेफ्रिजरेटर, टेलीविजन और मोबाइल हैंडसेट, इन 4 प्रमुख टिकाऊ संपत्तियों पर हुए विश्लेषण में पाया गया इन सामानों को रखने में लोगों के बीच का फर्क तेजी से कम हो रहा है। इस रिपोर्ट में एक और दिलचस्प बात बताई गई है कि मोबाइल फोन की सभी लोगों तक पहुंच ने उपभोग की आदतों को बड़े पैमाने पर बदल दिया है। अब समाचार और मनोरंजन के प्राइमरी सोर्स के तौर पर मोबाइल ने टीवी की जगह ले ली है।

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