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    गैस आधारित इकोनॉमी की ओर बढ़ने का एजेंडा तैयार, पेट्रोलियम मंत्रालय तैयार कर रहा अगले पांच वर्षों का रोडमैप

    Updated: Fri, 29 Mar 2024 07:14 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों के रोडमैप को तकरीबन अंतिम रूप दे दिया है। इस रोडमैप में देश की इकोनॉमी में प्राकृतिक गैस की मौजूदा हिस्सेदारी 7 फीसद से बढ़ा कर 15 फीसद करने का विस्तृत एजेंडा है। यह गैस आधारित इकोनॉमी की तरफ बढ़ने की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा। आइए जानते हैं पूरी खबर।

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    देश में अभी तक 25 हजार किलमीटर से ज्यादा लंबी गैस पाइपलाइन स्थापित है।

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी लगातार यह दावा कर रहे हैं कि आगामी आम चुनाव के बाद उनकी ही सरकार सत्ता में फिर से वापस आएगी। अपनी अगली सरकार के एजेंडे पर उन्होंने हाल ही में सभी केंद्रीय मंत्रालयों की एक बैठक भी बुलाई थी। इसमें सभी मंत्रालयों को अगले पांच वर्षों का रोडमैप तैयार करने को कहा गया था।

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    इस निर्देश के आधार पर पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने तो अगले पांच वर्षों के रोडमैप को तकरीबन अंतिम रूप भी दे दिया है। इस रोडमैप में देश की इकोनॉमी में प्राकृतिक गैस की मौजूदा हिस्सेदारी 7 फीसद से बढ़ा कर 15 फीसद करने का विस्तृत एजेंडा है।

    वैसे इस बारे में पीएम मोदी काफी लंबे समय से बात कर रहे हैं लेकिन इस बारे में वास्तविक प्रगति अब अगले पांच वर्षों के दौरान ही होने के आसार दिख रहे हैं क्योंकि पिछले पांच वर्षों में गैस की हिस्सेदारी कमोबेश स्थिर रही है। इस रोडमैप का एक बड़ा उद्देश्य देश के रसोई घरों में मौजूदा एलपीजी को पीएनजी से स्थानांतरित करने का होगा।

    अभी देश में 1.2 करोड़ पीएनजी कनेक्शन हैं जिसकी संख्या वर्ष 2030 तक बढ़ा कर 10 करोड़ और वर्ष 2032 तक 12.5 करोड़ करने की है। इसका एक बड़ा गैर-शहरी क्षेत्रों में होगा। मंत्रालय की योजना पीएनजी आपूर्ति के लिए आवश्यक नेटवर्क को वर्ष 2025 से वर्ष 2030 के दौरान बहुत तेजी से विस्तार करने की है। इसके अलावा देश में सीएनजी स्टेशनों की मौजूदा संख्या (6159-जनवरी, 2024 तक) को 18 हजार के करीब की जाएगी।

    सीएनजी के अलावा देश में एलएनजी को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने की शुरुआत भी की जाएगी। योजना यह है कि एलएनजी ईंधन का इस्तेमाल लंबी दूरी के लिए माल ढुलाई करने वाले ट्रकों में किया जाए। हाल ही में नीति आयोग ने इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार की है। अब इसे प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल पर आगे बढ़ा जाएगा।

    देश की अर्थव्यवस्था में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए तकरीबन 65-70 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। इसका एक बड़ा हिस्सा सरकारी क्षेत्र की कंपनियां करेंगी। पीएम मोदी ने भी हाल ही में भारत में गैस सप्लाई चेन को सुदृढ़ करने के लिए अगले छह वर्षों के दौरान 67 अरब डॉलर का निवेश करना होगा।

    देश की इकोनॉमी में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए इससे जुड़े ढांचागत सुविधाओं को भी उसी स्तर का बनाना होगा। गैस की ढुलाई के लिए पाइपलाइन का राष्ट्रीय नेटवर्क चाहिए जिस पर तेजी से काम चल रहा है। देश में 25 हजार किलमीटर से ज्यादा लंबी गैस पाइपलाइन स्थापित है और 11 हजार किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने का काम जारी है। 300 भौगोलिक क्षेत्रों में सिटी गैस वितरण नेटवर्क बिछाने का काम चल रहा है।

    एलएनजी टर्मिनल की मौजूदा क्षमता 4.8 करोड़ टन सालाना है जिसे बढ़ा कर तकरीबन 6.8 करोड़ टन सालाना किया जाएगा। देश में गैस की खपत बढ़ाने का एक बड़ा मकसद यह है कि आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम होगी। भारत अपनी जरूरत का 86 फीसद कच्चा तेल आयात करता है। जबकि घरेलू जरूरत का 50 फीसद गैस बाहर से आयात करता है।

    लेकिन आने वाले दिनों में घरेलू गैस फील्डों से उत्पादन बढ़ने की संभावना है। हाल ही में केयरएज रेटिंग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि घरेलू उत्पादन बढ़ने से आयातित एलएनजी पर भारत की निर्भरता वर्ष 2024-25 के बाद कम होने लगेगा। इसके अलावा गैस का ज्यादा इस्तेमाल पर्यावरण के लिए भी पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधनों के मुकाबले ज्यादा सही होता है।

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