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    आपकी सैलरी पर बैंक कितना दे सकता है पर्सनल लोन, कैसे करें पता?

    Personal Loan Calculation इस महंगाई के जमाने में अपनी मनपसंद वस्तु या सामान खरीदना मुश्किल होता जा रहा है। इसलिए लोग लोन का सहारा लेते हैं। सभी लोन में से पर्सनल लोन आसानी से मिल जाता है। आमतौर पर घर की रिपेयरिंग बेटी की शादी जैसे काम के लिए लोग पर्सनल लोन लेते हैं। आज हम जानेंगे की बैंक सैलरी के हिसाब से पर्सनल लोन कैसे तय करता है?

    By Mansi Bhandari Edited By: Mansi Bhandari Updated: Thu, 01 May 2025 01:35 PM (IST)
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    सैलरी पर बैंक कितना दे सकता है पर्सनल लोन?

     बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पर्सनल लोन लेकर आप अपनी छोटी-मोटी जरूरतें पूरी कर सकते हैं। इससे आपकी सेविंग पर भी अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि कोई भी लोन लेने पर आपको प्रिंसिपल अमाउंट (लिया गया लोन) के साथ किस्त भी चुकानी पड़ती है।

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    मौजूदा समय में ज्यादातर बैंक पर्सनल लोन पर 10 से 12 फीसदी तक ब्याज ले रहे हैं। ये ब्याज दर आपके बैंक पर निर्भर करता है। पर्सनल लोन का अमाउंट क्या रहने वाला है, ये आपकी सैलरी, वित्तीय स्थिति और सिबिल स्कोर पर निर्भर करता है। आज हम खास तौर पर जानेंगे कि सैलरी के बेसिस पर बैंक कैसे लोन तय करता है।

    क्या है मल्टीप्लायर नियम?

    कई बैंक और वित्तीय संस्थान लोन का अमाउंट तय करने के लिए मल्टीप्लायर तकनीक का इस्तेमाल करती हैं। मल्टीप्लायर, जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, बैंक हर महीने मिलने वाली सैलरी का 10 से 24 गुना तक लोन देते हैं।

    ये नियम कुछ इस प्रकार है:-

    हर महीने मिलने वाली सैलरी x 24 = लोन अमाउंट

    उदाहरण से समझें नियम का उपयोग

    मान लीजिए किसी व्यक्ति की सैलरी प्रतिमाह 40 हजार रुपये हैं। तो उसे बैंक से अधिकतम 9,60,000 रुपये तक पर्सनल लोन मिल सकता है। ऐसे ही अगर प्रतिमाह सैलरी 30 हजार रुपये है, तो लोन अमाउंट 7,20,000 रुपये और 20 हजार रुपये की सैलरी में लोन अमाउंट 4,80,000 होगा।

    हालांकि ये लोन अमाउंट कई और तथ्य जैसे क्रेडिट स्कोर या सिबिल स्कोर और वित्तीय स्थिति को देखते हुए भी तय किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर या सिबिल स्कोर बेहतर है, तो उसे कम ब्याज पर अधिकतम लोन मिल सकता है।

    क्या होता है क्रेडिट स्कोर?

    क्रेडिट स्कोर को सिबिल स्कोर भी कहा जाता है। क्रेडिट स्कोर क्रेडिट कार्ड बिल और ईएमआई भुगतान के आधार पर तय किया जाता है। इसकी रेंज 300 से 900 के बीच रहती है। समय पर बिल चुकाने और ईएमआई देने पर यह स्कोर ठीक रहता है। आपका क्रेडिट स्कोर जितना बेहतर होगा, उतना ही आपको फायदा मिलेगा।

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